भारतीय क्रिकेट को बुलंदियों पर पहुंचाने में कई कप्तानों समेत खिलाड़ियों का अहम योगदान रहा। इस सुनहरे सफर के दौरान टीम इंडिया ने कई उतार-चढ़ाव भी देखे, खिलाड़ियों पर लगे मैच फिक्सिंग के आरोपों ने एक समय पर क्रिकेट को शर्मसार किया तो युवा टीम ने विदेशी सरजमीं पर तिरंगा लहराने का काम भी किया। मगर इस सफर की शुरुआत कब हुई यह जानना काफी अहम है। 39 साल पहले आज ही के दिन जब टीम इंडिया ने कपिल देव की अगुवाई में पहला वर्ल्ड कप खिताब जीता था तब ही भारत के वर्ल्ड क्रिकेट पर राज करने की कहानी की शुरू हुई थी। भारत ने फाइनल में दो बार की चैंपियन वेस्टइंडीज को धूल चटाकर यह इतिहास रचा था।टीम इंडिया जब इंग्लैंड में 1983 का वर्ल्ड कप खेलने पहुंची थी तो फैंस छोड़िए कई खिलाड़ियों को भी जीत की उम्मीद नहीं थी। इस ऐतिहासिक वर्ल्ड कप पर अब तो फिल्म भी आ गई है जिसमें साफ देखने को मिला है कि बोर्ड को भी अपने खिलाड़ियों पर भरोसा नहीं था। भरोसा हो भी कैसे टीम इंडिया ने इससे पहले खेले गए दो वर्ल्ड कप में मात्र एक ही मैच जीता था। वहीं वर्ल्ड कप शुरू होने से ठीक पहले टीम बदलाव के दौर से भी गुजर रही थी, कप्तानी की जिम्मेदारी सुनील गावस्कर की जगह कपिल देव को सौंपी गई थी। वर्ल्ड कप के दौरान कपिल देव ही एकमात्र ऐसे खिलाड़ी थे जो खिताब जीतने का सपना आंखों में संजोए बैठे थे।
वर्ल्ड कप में भारत का हुआ जोरदार आगाज
दो बार की चैंपियन वेस्टइंडीज को 34 रनों से धूल चटाकर भारत ने 1983 वर्ल्ड कप का आगाज जोरदार अंदाज में किया था। यशपाल शर्मा इस मैच में टीम इंडिया के हीरो रहे थे जिन्होंने 89 रनों की पारी खेल टीम की जीत में अहम योगदान दिया था। इसके बाद टीम इंडिया ने जिम्बाब्वे के दूसरे मुकाबले में 5 विकेट से धूल चटाकर हर किसी को चौंका दिया था। बतौर अंडरडॉग वर्ल्ड कप में पहुंची इस टीम को ऐसा धाकड़ प्रदर्शन करता देख हर कोई हैरान था।
भारत को ले डूबा ओवर कॉन्फिडेंस
शुरुआती दो मैचों की जीत के बाद भारतीय खिलाड़ियों में ओवर कॉन्फिडेंस आ गया था जिसने टीम इंडिया की लुटिया डुबोई। भारत को तीसरे मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया ने 162 रनों से हराया, वहीं विंडीज ने चौथे मुकाबले में 66 रनों से जीत दर्ज कर हार का बदला लिया। अब नॉकआउट स्टेज में जगह बनाने के लिए टीम इंडिया को अगले दो मुकाबले जीतने थे। जिसमें कप्तान कपिल देव ने फ्रंट से लीड किया।