36 साल के राफेल नडाल ने बता दिया कि महान खिलाड़ी कौन है- सुनील गावस्कर

(सुनील गावस्कर का कालम)

राफेल नडाल का फ्रेंच ओपन में 14वां खिताब जीतना शानदार है। उम्र के इस पड़ाव पर जहां विभिन्न खेलों में एथलीट रिटायरमेंट की ओर बढ़ते है, वहां नडाल का एक और बड़ा टूर्नामेंट जीतना वो भी फ्रेंच ओपन जैसे चुनौतीपूर्ण टूर्नामेंट में, यह सिर्फ उनकी फिटनेस ही नहीं बल्कि खेल में प्रतिस्पर्धा बरकरार रखने की उनकी इच्छाशक्ति को भी दर्शाता है। स्पेन के ही कार्लोस अलकराज की भी खुब चर्चा हुई थी लेकिन यह युवा खिलाड़ी एलेक्सजेंडर ज्वेरेव के खिलाफ अपने खेल के स्तर को बढ़ा नहीं सका। ज्वेरेव भी एक प्रतिभाशाली खिलाड़ी हैं और अगले दौर में उनका सामना नडाल से हुआ। उन्होंने पहले सेट में बराबरी की टक्कर दी लेकिन इसके बाद चोट के कारण उन्हें व्हीलचेयर से बाहर जाना पड़ा। नडाल ने भी अपने प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ी के लिए चिंता जताई और मानवता के आधार पर उनकी मदद की जिससे उन्होंने अपने प्रशंसकों का दिल जीता।यह नहीं भूलना चाहिए कि नडाल को भी पैर में चोट लगी थी लेकिन मानसिक स्वास्थ्य के कारण उन्हें अपने दर्द को भुलाने में आसानी हुई और उन्होंने एक और बड़ा खिताब अपने नाम किया। 22 ग्रैंडस्लैम खिताब और अपने दो निकटतम प्रतिद्वंद्वी रोजर फेडरर और नोवाक जोकोविक से दो कदम आगे निकलकर नडाल ने शायद इस बहस को सुलझा लिया है कि इन तीन खिलाड़ियों के बीच आल टाइम महान खिलाड़ी कौन है। फ्रेंच ओपन जीतने के साथ ही नडाल ने वर्ष में होने वाले चार ग्रैंडस्लैम में से दो को अपने नाम कर लिया है। इससे पहले, जोकोविक ने साल के पहले तीन ग्रैंडस्लैम जीते थे और यूएस ओपन में उन्हें हार मिली थी। 2021 से छह बड़े खिताब में से पांच खिताब 30 से अधिक उम्र वाले खिलाड़ियों का जीतना आश्यर्चजनक है।

अगली पीढ़ी के खिलाड़ी बिग टू की पकड़ तोड़ने में अब तक कामयाब नहीं हो सके हैं। हालांकि, डेनिल मेदवेदेव और ज्वेरेव अन्य टूर्नामेंट में जीत दर्ज कर रहे हैं जो तीन सेट के होते हैं। लेकिन पांच सेट वाले बड़े टूर्नामेंट अलग है जहां नडाल और जोकोविक जैसे अनुभवी खिलाड़ी दो सेट में पिछड़ने के बावजूद वापसी कर जाते हैं। विंबलडन में आल इंग्लैंड ओपन भी शुरू होने वाला है और एटीपी ने फैसला किया है कि इस टूर्नामेंट में रैंकिंग अंक नहीं दिए जाएंगे। कुछ शीर्ष खिलाड़ी जो ग्रास कोर्ट पर खेलना पसंद नहीं करते वे इससे हट सकते हैं। 1974 में भी ऐसा हुआ था जहां कई सारे शीर्ष खिलाड़ी इससे दूर रहे थे और जान कोडेस ने पुरुष सिंगल्स का खिताब जीता था।

भारत में कुछ दिनों से आइपीएल प्रसारण अधिकार की ई-नीलामी की चर्चा जोरों पर चल रही है। इसे क्रिकेट की दुनिया बड़ी दिलचस्पी से देखेगी क्योंकि इससे यह भी संकेत मिल सकता है कि आइसीसी के अधिकार किस दिशा में जाएंगे। यह कल्पना की जा सकती है कि जो लोग आइपीएल के अधिकार जीतने में विफल रहते हैं वे आइसीसी अधिकारों के लिए जाएंगे और आइसीसी को भी एक बोनस मिल सकता है। पिछले कुछ वर्षों में बीसीसीआइ और आइसीसी भाग्यशाली रहे हैं कि भारतीय बाजार में विभिन्न अधिकारों के लिए हमेशा एक से अधिक बोली लगाने वाले रहे हैं और इसलिए अंत में ऐसे आंकड़े मिल रहे हैं जो वास्तव में बहुत बढि़या हैं। अगर पिछला रविवार पेरिस में नडाल का दिन रहा था तो इस रविवार आइपीएल अधिकार की ट्राफी कौन जीतेगा?

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