33 साल बाद रणजी खिताब जीतने उतरेगा बंगाल

र्नामेंट में शानदार प्रदर्शन करने वाली बंगाल और सौराष्ट्र की टीमें गुरुवार से शुरू हाे रहे रणजी ट्रॉफी के फाइनल में आमने-सामने होंगी। बंगाल की टीम 33 साल के लंबे इंतजार के बाद रणजी ट्रॉफी का खिताब जीतने के इरादे से उतरेगी। इसके अलावा बंगाल 2020 में सौराष्ट्र से फाइनल में मिली हार का भी बदला लेना चाहेगा। बंगाल अपने घर में फाइनल खेल रहा है और वह खिताब जीतने का दावेदार है। बंगाल ने पिछली बार रणजी फाइनल 1990 में जीता था। वहीं, सौराष्ट्र तीन सत्र में अपने दूसरे रणजी खिताब को हासिल करना चाहेगा।

बंगाल के खिलाड़ी अभिमन्यु ईश्वरन, अनुस्तूप मजमूदार, ऑलराउंडर शाहबाज अहमद और तेज गेंदबाज मुकेश कुमार फाइनल में अच्छा प्रदर्शन करके राष्ट्रीय टीम में जगह बनाने की कोशिश करेंगे। बंगाल के तेज गेंदबाज आकाश दीप ने नौ मैचों में 37 विकेट चटकाए हैं और फाइनल में भी उनसे शानदार प्रदर्शन की उम्मीद रहेगी। बंगाल की अगुवाई बल्लेबाज और राज्य के खेल मंत्री मनोज तिवारी कर रहे हैं।

सौराष्ट्र की टीम अपने नियमित कप्तान तेज गेंदबाज जयदेव उनादकट के आने से मजबूत हुई है। उनादकट ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जारी टेस्ट सीरीज के लिए भारतीय टीम का हिस्सा थे, लेकिन बीसीसीआई ने उन्हें फाइनल में खेलने की अनुमति दे दी।

कप्तानों ने क्या कहा?
पिछले तीन सीजन में सौराष्ट्र की टीम दूसरे रणजी ट्रॉफी का खिताब हासिल करना चाहेगी। 2020 मेें उनादकट की कप्तानी में सौराष्ट्र ने रणजी और इस सत्र में विजय हजारे ट्रॉफी का खिताब जीता था। फाइनल से पहले कप्तान जयदेव उनादकट ने कहा- मैं कहना चाहता हूं कि दोनों टीमों के बल्लेबाजों के लिए इस पिच पर खेलना मुश्किल होगा। इस पिच पररेंदबाजों को बाउंस मिलेगा। हम यह खिताब जीतकर पुजारा को समर्पित करना चाहेंगे जो अपना ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दिल्ली में 100वां टेस्ट खेलेंगे।

वहीं, बंगाल के कप्तान मनोज तिवारी ने कहा- मेरा लक्ष्य मैच में अपना योगदान देना है। हम पहली पारी में बढ़त बनाना चाहते हैं। हम फाइनल को एक साधारण मैच की तरह ले रहे हैं। सौराष्ट्र ने हमें पहले हमें हराया था। हमें उनसे सतर्क रहने की जरूरत है।

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