किसी संस्था ने नहीं किया धरना- प्रदर्शन ना ही हुआ कोई आंदोलन
मेलाधिकारी शेषमणि पाण्डेय के नेतृत्व में उनकी टीम व कुछ संतों का रहा प्रमुख योगदान
प्रयागराज। तीर्थराज प्रयाग के संगम की रेती पर जनवरी माह में लगने वाले माघ मेले में पहली बार बिना किसी विवाद, धरना प्रदर्शन, आंदोलन और बहिष्कार के शांतिपूर्वक संत- महात्माओं एवं अन्य संस्थाओं को जमीन सुविधा का आवंटन हो गया है। सबसे बड़ी बात यह है कि यह सब कुछ माघ मेला अधिकारी आईएएस शेषमणि पांडे और उनकी टीम के आगे आने से संभव हुआ है। इसके पहले प्रत्येक वर्ष जमीन और सुविधा को लेकर धरना – प्रदर्शन और व्यापक स्तर पर आंदोलन माहभर माघ मेला कार्यालय पर होता था जिससे मेले की तैयारियां प्रभावित होती थी।
माघ मेला में इसके पहले जब भी संत- महात्मा और संस्था के लोग शिविर लगाने लिए आते थे। इस दौरान कई बार धरना – प्रदर्शन और व्यापक स्तर पर आंदोलन शुरू होता था। कई बार तो धरना – प्रदर्शन आंदोलन माघ मेले के दौरान चलता रहता था तो वहीं कई बार कई संत- महात्मा और कल्पवासियों के शिविर एक – दूसरे के जमीन पर आवंटित होने या अन्य खामियों के चलते मेला बसने के बाद उनको हटना पडता था। प्रभारी अधिकारी माघ मेला बीएस ओझा के कार्याकाल के दौरान वर्ष-2003 में कल्पवास के लिए अपना कलश रख दिया था उनको बाद में उजाड़ा गया है जिससे कि करीब 200 कल्पवासियों ने बाद में मेला छोड़ दिया था। इतना ही नहीं कई ऐसी संस्था के लोग हैं जो सिर्फ जमीन सुविधा की मनमानी मांग को लेकर किसी ना किसी बहाने मेला प्रशासन कार्यालय पर दिन – रात धरना प्रदर्शन करते थे कि जब तक उनकी मांगें पूरी नही होती। वर्ष 2000 से लेकर 2018 तक की स्थिति इतनी खराब हो गई थी कि संस्थाओं की जमीन – सुविधा कई गुना तक बढ़ गयी थी। इस मनमानी पर रोक के लिए कोई अधिकारी नहीं आया जबकि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कई बार मेलाधिकारी को डायरेक्शन दिया कि संस्थाओं को जमीन और सुविधा दिए जाने के लिए एक मानक बनाया जाए। वर्ष 1996-97 माघ मेला के दौरान श्यामलाल मेला प्रभारी थे। उन्होंने शांतिपूर्वक मेला संपन्न करवाया था। उस दौरान किसी भी संस्था, संत और महात्मा ने जमीन सुविधा को लेकर कोई धरना प्रदर्शन नहीं किया। उसके बाद से हर वर्ष जमीन और सुविधा की मांग को लेकर संत – महात्मा और संस्था के लोग मेला मेला कार्यालय के सामने धरना प्रदर्शन करते हुए दिन- रात अनशन करते रहते थे। इतना ही नहीं संस्थाओं के आपसी विवाद को लेकर भी मेला कार्यालय पर धरना प्रदर्शन करते रहते थे । खाक चौक ,आचार्य वाड़ा ,दंडी वाड़ा ,शंकराचार्यो और प्रयागवाल आपसी विवाद को लेकर भी मेला कार्यालय पर धरना प्रदर्शन करते रहते थे इससे जहां मिला प्रशासन का कार्य प्रभावित होता था वही मेले की तैयारियां भी प्रभावित होती थी। इस बार माघ मेला अधिकारी आईएएस शेषमणि पांडे हैं। उनकी माघ मेला प्राधिकरण में पहली नियुक्ति मेला अधिकारी के रूप में हुई है। उन्होंने कार्यभार संभालने के बाद ओएसडी संत कुमार, बडे बाबू अशोक कुमार,
संस्था लिपिक चंद्रिका प्रसाद त्रिपाठी, लक्ष्मी कांत मिश्रा, देवराज मिश्रा, मनोज श्रीवास्तव सहित अन्य अपनी टीम के साथ सभी संस्थाओं के विवादों के निस्तारण पर जोर दिया जिससे कि कोई भी धरना प्रदर्शन न करने पाए और जमीन – सुविधा के आवंटन का काम शांतिपूर्वक संपन्न हो जाए। मेला प्रशासन ने एक सोची समझी रणनीति के तहत जमीन – आवंटन का काम करना शुरू कर दिया। सभी संत – महात्माओं से सामंजस्य बैठाकर अलग-अलग कई चरणों में वार्ता करके उन्होंने उनकी समस्याओं का समाधान किया। मेला अधिकारी शेषमणि पांडे ने बताया कि 22 दिसंबर से मेला क्षेत्र में शिविर लगाने के लिए संस्थाओं को जमीन आवंटन शुरू किया गया था। सबसे ज्यादा विवाद जो दंडी बाडा, अचार्य बाडा, खाक चौक और प्रयाग वालों में जो विवाद था उसको आपसी सामंजस से दूर किया जिससे कि सभी संत- महात्मा और अन्य लोगों को शिविर तेजी से लगने शुरू हो गए हैं। उन्होंने बताया कि अब माघ मेले सड़क बिजली, पानी ,स्नान घाट सहित अन्य मूलभूत सुविधाओं पर जोर दिया जा रहा है जिससे कि देश के कोने-कोने से आने वाले लाखों संत- महात्मा और कल्पवासियों को कोई परेशानी ना होने पाए। मेलाधिकारी शेषमणि पाण्डेय ने बताया कि संस्थाओं की समस्याओं को दूर करके उनको जमीन आवंटित कर दिया गया है और उनके शिविर लगने लगे है। मेला अधिकारी शेषमणि पांडे ने बताया कि मेले के सफल आयोजन में उनकी टीम ने उनका पूरा साथ दिया और हर कदम पर जरूरी सुझाव देते रहे जिससे कि कोई विवाद और समस्या नहीं होने पायी। उधर, माघ मेला को संपन्न कराने में कई प्रमुख संत– महात्माओं की भी बड़ी सराहनीय भूमिका रही जिन्होंने अपनी कोई जिद न करते हुए बल्कि मेला प्रशासन का सहयोग करते हुए पूरी तरह से उनका साथ देते हुए उन्होंने मेला अधिकारी शेषमणि पांडे को पूरा भरोसा दिलाया कि मेला शांतिपूर्वक सकुशल संपन्न होगा। इन प्रमुख संतों में अखिल भारतीय दण्डी सन्यासी परिषद के संरक्षक जगदगुरु स्वामी महेश आश्रम, परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी ब्रह्माश्रम महराज, स्वामी रामतीर्थ दास महाराज, किन्नर अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी महाराज, स्वामी कल्याणी नंदगिरी महाराज, ओम नमः शिवाय संस्था के पूज्य गुरुदेव, स्वामी हरि चैतन ब्रह्मचारी, स्वामी बालक दास महाराज जौनपुर, स्वामी रामदास टाटाम्बरी, स्वामी ध्रुवदास महाराज सहित अन्य प्रमुख लोग थे।