सरकार कथित तौर पर 2,000 रुपये से अधिक के यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) लेनदेन पर वस्तु एवं सेवा कर (GST) लगाने के प्रस्ताव की समीक्षा कर रही है। मीडिया रिपोर्ट्स में इस तरह की चर्चा जोरो पर है। वित्त मंत्रालय ने एक विज्ञप्ति में बताया कि यह दावा कि सरकार 2,000 रुपये से अधिक के यूपीआई लेनदेन पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लगाने पर विचार कर रही है, पूरी तरह से झूठा, भ्रामक और निराधार है। वर्तमान में सरकार के समक्ष ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है।
मार्च महीने में भारत में यूपीआई के जरिए लेनदेन 24.77 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। UPI पर GST चर्चा का विषय बना हुआ है, क्योंकि कई रिपोर्ट्स में यह बात सामने आई थी कि कि UPI भुगतान या 2,000 रुपये से अधिक के लेन-देन पर GST लगाया जाएगा। इसने UPI उपयोगकर्ता वर्ग, व्यक्तिगत उपयोगकर्ताओं से लेकर छोटे व्यवसाय मालिकों तक सभी को चौंका दिया था। दााव किया जा रहा था कि यदि इसे मंजूरी मिल जाती है, तो इन उच्च-मूल्य वाले लेनदेन पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगाया जा सकता है, जो कि अधिकांश डिजिटल सेवाओं के लिए मानक दर है।
रिपोर्ट के अनुसार, कहा जा रहा था कि 2,000 रुपये से ज़्यादा के UPI भुगतान पर GST लागू होने के बाद, पीयर-टू-पीयर और मर्चेंट ट्रांज़ैक्शन दोनों को इसमें शामिल किया जा सकता है। प्रस्तावित GST दर 18 प्रतिशत के आसपास रहने की संभावना है। भारत का जीएसटी संग्रह फरवरी 2025 में 9.1 प्रतिशत बढ़कर लगभग 1.84 लाख करोड़ हो गया। शनिवार, 1 मार्च को जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, सकल आधार पर, केंद्रीय जीएसटी से संग्रह 35,204 करोड़, राज्य जीएसटी 43,704 करोड़, एकीकृत जीएसटी 90,870 करोड़ और मुआवजा उपकर 13,868 करोड़ रहा।