2 महीने पहले चुने गए राष्ट्रपति, फिर अब क्यों हो रहा श्रीलंका में चुनाव?

श्रीलंका में कई महीनों के बाद दूसरे राष्ट्रीय चुनाव के लिए आज मतदान हो रहा है, जहां विपक्ष राष्ट्रपति चुनावों में करारी हार से उबरने के लिए संघर्ष कर रहा है। भ्रष्टाचार से लड़ने और देश की चुराई गई संपत्तियों को वापस पाने के वादे पर चुनाव जीतने के बाद दक्षिण एशियाई द्वीप के पहले वामपंथी नेता नए राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके द्वारा आकस्मिक संसदीय चुनाव बुलाया गया था। इस द्वीपीय देश में 21 सितंबर को हुए राष्ट्रपति चुनाव में अनुरा कुमारा दिसानायके को जीत हासिल हुई थी लेकिन वह 50 प्रतिशत से अधिक वोट हासिल करने में विफल रहे थे जिसके बाद दिसानायके अपने भ्रष्टाचार विरोधी जवाबदेही सुधारवादी कार्यक्रम को लागू करने के लिए मजबूत संसद की वकालत कर रहे हैं।

श्रीलंका में संसदीय चुनाव के लिए मतदान प्रारंभ हो गया। ये चुनाव मार्क्सवादी विचारधारा के प्रति झुकाव रखने वाले देश के नए राष्ट्रपति के लिए आर्थिक सुधार के वादों को पूरा करने के लिहाज से महत्वपूर्ण है। पार्टी नेशनल पीपुल्स पावर (एनपीपी) को 225 सदस्यीय संसद पर नियंत्रण पाना है तो उन्हें चुनाव में कम से कम 113 सीट पर जीत हासिल करनी होगी। एनपीपी का गठन 2019 में किया गया था और यह श्रीलंका के राजनीतिक परिदृश्य में अपेक्षाकृत नया दल है। 

पार्टी के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह है कि इसके कई उम्मीदवार राजनीति में नए चेहरे हैं और इनका मुकाबला देश के अन्य पुराने दलों के उम्मीदवारों से हैं। राष्ट्रपति चुनाव में दूसरे स्थान पर रहे साजिथ प्रेमदासा और उनकी पार्टी यूनाइटेड पीपुल्स पावर एनपीपी के मुख्य प्रतिद्वंद्वी हैं। श्रीलंका अपने सबसे खराब आर्थिक संकट से निपटने के लिए संघर्ष कर रहा है ऐसे में ये चुनाव देश की दिशा और दशा निर्धारित करने के लिहाज से काफी अहम हैं। कुल 8,821 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। परिणाम शुक्रवार को घोषित किए जा सकते हैं।

Related posts

Leave a Comment