मालदीव में 14 साल के बच्चे की मौत के बाद वहां सियासत तेज हो गई। विपक्षी दलों का आरोप है कि राष्ट्रपति मुझ्जू ने भारत के डोर्नियर विमान से बीमार बच्चे को इमरजेंसी एयरलिफ्ट की इजाजत नहीं दी। बच्चे को बचाया नहीं जा सका। वह ब्रेन ट्यूमर से जूझ रहा था। राष्ट्रपति कार्यालय ने घटना पर दुख जताया और बयान में निर्देश दिया कि मरीजों को इमरजेंसी ट्रांसफर करने से जुड़े निगमों को मोडिफाई किया जाए। मालदीव की लोकल मीडिया के अलावा सोशल मीडिया में भी इस मसले पर वहां के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू को घेरा जा रहा है। वहीं, अव राष्ट्रपति कार्यालय ने बयान जारी किया। राष्ट्रपति मुइज्जू ने वच्चे की मौत पर दुख जताया। उन्होंने मरीज के एमरजेंसी ट्रांसफर के दौरान हुई घटनाओं पर संबंधित अधिकारियों से जांच और रिव्यू की बात कही। साथ ही इससे जुड़े प्रोटोकॉल को संशोधित करने की बात कही। वहीं, मालदीव की सांसद मीकैल नसीम ने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा कि भारत के प्रति राष्ट्रपति की।शत्रुता को संतुष्ट करने की कीमत लोगों जू ने की जान नहीं हो सकती। बच्चे की मौत के मामले में विवाद बढ़ने पर मालदीव के डिफेंस मिनिस्टर मोहम्मद घसन ने कहा कि 93% एवेक्युएशन (किसी जगह से निकालना) अभी भी मालदीव की एयरलाइंस से ही किए जाते हैं। मेडिकल ऑपरेशंस में स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर के मुताविक, राष्ट्रपति को अधिसूचित करने या उनकी इजाजत लेने की जरूरत नहीं होती।
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