अनंत चतुर्दशी भगवान विष्णु को समर्पित खास पर्व है जो भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु के अनंत रूपों की पूजा की जाती है। मान्यता है कि जब महाभारत काल में पांडव जुए में अपना सारा राजपाट हार के वन में कष्ट झेल रहे थे, तो भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण ने पांडवों को अनंत चतुर्दशी का उपवास रखने की सलाह दी। भगवान विष्णु को पालनहार माना जाता है। धरती पर समय समय पर अधर्म और पाप का नाश करने के लिए भगवान विष्णु के अवतारों ने जन्म लिया। देशभर में अनेक प्रसिद्ध और भव्य विष्णु मंदिर हैं, जहां आप अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु के दर्शन के लिए जा सकते हैं।
बद्रीनाथ धाम, उत्तराखंड
हिंदू धर्म के चार धामों में से एक बद्रीनाथ मंदिर है, जो भगवान विष्णु का सबसे प्राचीन मंदिर है। बद्रीनाथ मंदिर उत्तराखंड के चमोली में स्थित है। माना जाता है कि बद्रीनाथ मंदिर का निर्माण सातवीं-नौवीं सदी में हुआ था। यहां भगवान विष्णु की एक मीटर लंबी शालिग्राम की मूर्ति स्थापित है। मान्यता है कि यह स्वयं प्रकट हुई प्रतिमा है।
जगन्नाथ मंदिर, ओडिशा
ओडिशा के पुरी जिले में जगन्नाथ मंदिर स्थित है। यह मंदिर भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण को समर्पित है। जगन्नाथ मंदिर, पुरी हिंदुओं के चार धामों में से एक है। मंदिर के ऊपर लहराने वाला झंडा उल्टी दिशा में लहराता है। मान्यता है कि इस मंदिर के ऊपर से कोई पक्षी तक नहीं उड़ता। हर साल भव्य जगन्नाथ रथ यात्रा निकाली जाती है। जिसमें श्रीकृष्ण अपने बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ होते हैं। इस रथयात्रा में दुनियाभर से लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं।
द्वारकाधीश मंदिर, गुजरात
भगवान विष्णु के सबसे बड़े मंदिरों में गुजरात का द्वारिकाधीश मंदिर है। यह विष्णु जी के अवतार श्रीकृष्ण को समर्पित है। मथुरा छोड़कर कृष्ण ने द्वारका पहुंचे और अपना साम्राज्य स्थापित किया। यहां उन्हें द्वारिकाधीश के नाम से पुकारा जाने लगा। यह हिंदू धर्म के सबसे प्राचीन और भव्य मंदिरों में शामिल है, जिसका इतिहास 2000 साल से भी अधिक पुराना है।
रंगनाथ स्वामी मंदिर, तमिलनाडु
दक्षिण भारत के तमिलनाडु में श्रीहरि का भव्य मंदिर है। तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली शहर के श्रीरंगम में स्थित रंगनाथ स्वामी मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। इस मंदिर में श्री हरि विष्णु शेषनाग शैय्या पर विराजे हुए हैं। इस मंदिर का परिसर, भारत के सबसे बड़े मंदिरों में शामिल है।