माँ ममता की सागर हैं
पिता हिम्मत की खान हैं
इन्ही दोनो के कन्धों पर टिका
बच्चों का सारा जहान हैं,
माँ स्नेह की कुन्जी हैं ममता
की खरी वो पूँजी हैं
लाड़ प्यार और दुलार की खान हैं माँ,
इस पूरे विश्व मे सदा सब से
महान हैं माँ,
इस जीवन माँ सर्वोपरि देवी समान हैं
माँ सच मे बहूत महान है,,,,,,
पिता कर्म की कठोर मूरत हैं
माँ ममता की मन्दिर हैं
बच्चों के सुन्दर जीवन के लिए
जहाँ हर पल होता कर्मों का कीर्तन हैं,,,,,
जो खुद की हार में देखे बच्चों की जीत
ऐसी होती हैं माता पिता की प्रीत,
खुद का मान भले ही घटे घट जाए
पर बच्चों का मान नही घटने देते है
, खुद भले मिट जाए पर बच्चों
को नही मिटने देते है,,,,
माता पिता के चरणों मे
हर सुख साधन मिल जाता हैं
जो बच्चा इन्हें खुश रखता हैं
वो भवसागर से तर जाता हैं,,,,,
जो खुद को गवाकर तुम्हे
बनाए उन्हें कभी रुलाना ना
जो त्याग तपश्या की पॉवन
जीवन्त देव है उन्हें कभी भुलाना
ना करजोड़ कर करू मैं विनती
माँ बाप को कभी रुलाना ना ,,,,,,,,
कवी : रमेश हरीशंकर तिवारी
( रसिक बनारसी )