हिन्दी कविता : बाप कमाई

मजा नही आता  है यारो जीवन मे
आप कमाई में, असली मजा तो
आया था जीवन मे बाप कमाई में,
ना किसी बात की चिन्ता थी ना फिक्र थी रोटी पानी की, हर पल
बात किया करते थे हँसी  मस्त जवानी की,,,,2
खाली जेब  से  भी दौलत की
भरमार हुवा करती थी, एक
शब्द जो कहते थे पूरी हर डिमांड
हुवा करती थी , हर रोज जश्न में
डूबी हमारी शाम हुवा करती थी,
सच कहते है जीवन का हर सुख
पाया हम ने बाप कमाई में, अब तो सदा परेसान रहते है आप कमाई में,असली मजा मिला
जीवन मे बाप कमाई में,,,,,,2
 हम हो आप हो या कोई भी हो
हर कोई असली जीवन जीता हैं
यारो बाप कमाई में,  कोई चिंता नही होती हैं,  बाप कमाई में , बड़े मजे
से सब जीते है बाप कमाई, पर   हर
बन्दा परेसान हो जाता हैं, अपनी
आप कमाई में,बड़ा सुकून व सुख
मिलता हैं बाप कमाई में,,,,,,2
 सुख सुविधा साधन की ना हम
सोचे आप कमाई में, हर पल मुश्किल से जीवन जीते हैं हम सब आप कमाई में,छोटी छोटी
बाते भी बड़ी नजर आती हैं, सारी
खुशियां महंगाई की बेदी पर बलि
चढ़ जाती हैं, आप कमाई में , असली जीवन खुल कर जिया
हम सब ने बाप कमाई में, ,,,2
अब अंत मे यही कहूंगा बात
बड़ी सरल व सीधी हैं, जितना
मजा किया हम सब ने बाप कमाई
में उसका आधा भी सुख नही मिला कभी आप कमाई में,बड़ा
मजा आता हैं सब को यारो इस जीवन मे बाप कमाई में,,,,,,2
कवी : रमेश हरीशंकर तिवारी
                 ( रसिंक बनारसी )

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