हिन्दी कविता : दीपावली

जब जेब पड़ी हो पूरी खाली
तब सुनी लगे सभी को दिवाली
बिन पैसो के कैसा त्योहार सारी
खुशियां लगे बरकार,,,,
धन नही धनतेरस आया
खाली जेब से न मन को भाया
अंतर्मन से हु परेसान पर ऊपर
से मुस्कुरा रहा हु, मुबारक हो
धनतेरस सभी औऱ मैं भी मना रहा हु,,,,,
ना तेल हैं, ना दिया हैं,  ना लाई अभी तक बाती हैं, कंगाली की हालत हैं, ना कोई संघी साथी हैं,
दूल्हा बनकर त्योहार खड़ा है,
गायब दौलत रूपी बाराती हैं,,,,,
चलो हर हाल में मुस्कुराते हैं
थोड़ा बहुत यहाँ वहाँ से कुछ मांग कर लाते है, जौसे तैसे कर के जुगाड़ चलो त्योहार मनाते है, हम सब दिया जलाते है,,,,,
अब अंत मे आप सभी को
सत्य का सार बता रहा हु , मैं आम आदमी हु, सदियों से हर त्योहार जुगाड़ से ही मना रहा हु,
कभी खुशी कभी गम हर हाल में खुश रहते है हम,,,,,,
सभी देश वाशियों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं,,,💥💥💥🌹जय श्री राम,,,
कवी : रमेश हरीशंकर तिवारी
            (     रसिक बनारसी  )

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