हिन्दी कविता : आजादी

वीर सपूतों की शहादत से
आजादी तो   मिली वतन को,
संघ में मिली हर भारतीयों के
तन को, पर कुछ लोगो के
अंतर्मन में अभी गुलामी बाकी हैं
जो वक़्त वक़्त पर हर गल्ली
मोहल्ले में सड़कों पर आजाते
हैं, आजादी आजादी का झूठा
नारा लगाते है, अपने निजी हितों
के खातिर देश का मॉन घटाते हैं,,,,,,
कभी प्रान्त कभी भाषा को
लेकर वो सड़को पर आजाते हैं,
द्वेष जलन नफरत की वो बाते
फैलाते है, अपने ही घर के आंगन मे वो लोग नफरत की आग लगते हैं, आजादी ,आजादी चिल्लाते हैं,,,,2
राष्ट्र भक्ति से वो कतराते है
वन्देमातरम पावन शब्द को
सुनते ही चिढ़ जाते है, भारत
माता की जय का नारा उनके
मन को नही भाता हैं, अंतर्मन
में नफरत हैं ऊपर से प्रेम जताते
हैं आजादी ,आजादी चिल्लाते हैं,,,,,2
अब अंत मे यही कहूंगा पूर्ण
आजादी तब होगी ,जब हर
भारतीयों के अंतर्मन में राष्ट्र
भक्ति का संचार होगा , एक
दूजे के खातिर यहाँ सभी के
मन मे सच्चा आदर सम्मान व
प्यार होगा,
ना प्रान्त वाद ना जात
वाद , बस अखण्ड भारत के
लिए हर भारतीय के हॄदयतल में
 प्यार का भंडार होगा,  देश भक्ति
के पावन भाव से सारे देश का सिंगार होगा,
तब सच्ची आजादी आएगी चहु ओर
हरियाली छाएगी ,,,,
जय भारत जय भारती वन्देमातरम,,,,,2
कवी : रमेश हरीशंकर तिवारी

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