हिन्दी कविता : आइना हैं कश्मीर का,,,,,,,

झूठे सेकुलरिज्म की पोल खुल गई सारे जहां को भेड़िए की सकल दिख गई,
ये आइना हैं कश्मीर का जो सच दिखा रहा हैं,,,,,,,2
जो झूठे भाई चारे के आड़ में
अपने कटरपंथी विचारो का जुगाड बिठा रहे थे,,
आज उनकी सारी पोल खुलरही हैं,ये आइना है कश्मीर का जो सच दिखा रहा हैं,,,,,,2
जो नकाब पोश बनकर लाशे गिरा रहे थे,
 आज उनके मुख से झूठा मुखवटा हट गया,
क्या हैं इनकी मंशा ये सब को पता चल रहा हैं,
ये आइना हैं कश्मीर का जो सच दिखा रहा हैं,,,,,,,2
जो लोग सेकुलरिज्म की आड़ में जमकर धर्म स्नातनियों को शिकार बना रहे थे,
आज सभी देश वासियों को कड़वा सच नजर आरहां हैं,
क्यों की ये आइना हैं कश्मीर का जो सच दिखा रहा  हैं,,,,,,,2
खून से सनी माटी लाशों से घिरी घाटी दर्द और चीख से गूंजती वो घाटी की सुनी गलियां नजर आरही है,
अपनो के लहू में सनी रोटियां
विधवा महिला व अनाथ बेटियां
खा रही हैं ये अपने असहनीय दर्द को सीने में दबारही हैं,
देखो मां व बहने अश्क बहा रही हैं,
क्यों की ये आइना हैं  कश्मीर का जो सच दिखा रहा हैं,,,,,,,2
आज पूरे भारत में हर राष्ट्र प्रेमियों को अपनो की दबी चीख
सुनाई पड़ रही हैं,
दर्द से कराहती मां बहन बेटी
नजर आरही हैं क्यों की ये आइना है कश्मीर का जो सच दिखा रहा  हैं,,,,,,,,2
आज धर्म स्नातनियों को उनके
अपनो की तड़पती आत्म की आवाज आरही हैं,
आज हर हिन्द वाशियो की आंखे दर्द से भारी अश्क बहा रही है क्यों ये आइना है कश्मीर का जो सच दिखा रहा हैं,,,,,,,,,2
कभी खिलजी कभी बाबर तो कभी अकबर,
तो कभी अरंगजेब बनके आए
हर बार हर रूप में हिन्द को ही चोट पहुंचाया हैं,
इन दरिंदो ने सदा मां भारती को
घायल कर के अपना आतंक फैलाया  हैं,ये आइना हैं कश्मीर का जो सच दिखा रहा हैं,,,,,,2
ये आइना  हैं कश्मीर का हैं
ये आइना है हर भारती के
उज्वल तकदीर का है
ये आइना हैं  भूत काल
ये आइना हैं वर्तमान काल , ये आइना हैं भविष्य काल
क्यों की ये आइना हैं कश्मीर का जो सच दिखा रहे  हैं,,,,,2
ये न्राधम नरपीचस नर्भ्छी अमान्व हर बार इन्ही लोगो ने मानव जाति
पर कहर बरपाया हैं अपना खूनी
पंजा हर बार चलाया हैं,
ये आइना हैं कश्मीर का ये सच बता रहा हैं। ,,,,,,,,,2
कवि: रमेश हरीशंकर तिवारी
(रसिक बनारसी )

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