हिंदी विश्वविद्यालय में मनायी गयी छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती

प्रयागराज।महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय केंद्र प्रयागराज में छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती व एक भारत श्रेष्ठ भारत दिवस का आयोजन किया गया। इस अवसर पर केंद्र के सभी अध्यापकों एवं विभिन्न अनुशासनों के विद्यार्थियों ने अपने विचार रखे।

इस अवसर पर केंद्र के अकादमिक निदेशक प्रो. अखिलेश कुमार दुबे ने समाज में संतुलन, समन्वय, सामंजस्य एवं सर्वसम्मान की शिक्षा शिवाजी महाराज के जीवन से लेने की बात कही। उन्होंने बताया कि शिवाजी महाराज का पूरा जीवन उनकी माता जीजाबाई और समर्थ गुरु रामदास के संस्कारों से निर्मित हुआ। शिवाजी के जीवन में अध्यात्म, नैतिक शिक्षा, संस्कार आदि की शिक्षा उनकी माता ने दिया और गुरु समर्थ रामदास ने उन्हें देश के लिए होने का महत्व, देश की वास्तविकता, देश की जरूरत, लक्ष्य निर्माण आदि की शिक्षा दी। शिवाजी महाराज के जीवन में इन दोनों व्यक्तित्वों का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। उनके समय में देश की स्थिति बहुत ही खराब थी। शोषण, असमानता, व्यभिचार, लूट, नैतिक पतन, जाति आधारित शोषण, आदि अपने चरम पर था और उस दौर में शिवाजी ने इन सभी के विरुद्ध खड़ा होकर प्रतिरोध की आवाज बुलंद की। इसलिए शिवाजी का जीवन हम सभी के लिए अनुकरणीय है।
इसके पूर्व कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए शिवाजी जोगदंड ने छत्रपति शिवाजी महाराज के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला। डॉ.सुशील पाण्डेय ने शिवाजी महाराज के जीवन से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता की भूमिका को उकेरा साथ ही समाज कार्य से जुड़े विद्यार्थियों को शिवाजी के जीवन से शिक्षा लेते हुए अपने विषय क्षेत्र में काम करने का निर्देश दिया। डॉ. प्रभात सिंह ने शिवाजी महाराज के जीवन को एक भारत श्रेष्ठ भारत की संकल्पना से जोड़ते हुए इतिहास के महत्व को समझाया और राष्ट्रवाद एवं स्वतंत्रता संग्राम में इतिहास से जुड़े इस महान विभूति के चरित्र की विशेषताओं को स्पष्ट किया। डॉ. अनूप त्रिपाठी ने शिवाजी महाराज की दूरदृष्टि एवं दयालु प्रवृत्ति पर चर्चा की। डॉ.आशा मिश्रा ने शिवाजी महाराज के जीवन में उनकी माता की भूमिका पर बात की एवं भारत की अखंडता को बनाए रखने के लिए उनके जीवन से शिक्षा लेने की बात कही।
छात्रों में अपर्णा गोरे ने शिवाजी के जीवन से जुड़े एक प्रशस्ति गीत की प्रस्तुत की। डॉ.अवंतिका शुक्ला ने शिवाजी के जीवन के समाहारी प्रवृत्ति की बात करते हुए उनकी बुद्धिमत्ता, स्त्रियों का सम्मान, मजदूरों किसानों के हक की लड़ाई, सभी धर्मों के प्रति समभाव आदि जैसे गुणों पर चर्चा की। बताया कि वर्तमान समय की समस्याओं से लड़ने हेतु शिवाजी महाराज का जीवन एक प्रासंगिक उदाहरण के रूप में है। इसलिए हमारे लिए यह जरूरी है कि हम अपने इतिहास को एवं उससे जुड़े महान नायकों के जीवन से शिक्षा लें और देश निर्माण में अपना योगदान दें। धन्यवाद ज्ञापन डॉ.अनुराधा पाण्डेय ने किया। इस दौरान केंद्र के कर्मचारियों में शंभू दत्त सती, देवमूर्ति द्विवेदी, प्रमोद तिवारी, रश्मि, राहुल त्रिपाठी, बिरजू, राहुल, जगजीवन आदि उपस्थित रहे।

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