हाईकोर्ट ने पूछा : माघ मेला में किसकी इजाजत से लगे है खतरनाक झूले, क्या है मापदंड

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रयागराज में चल रहे माघ मेले में लगाए गए खतरनाक झूलों का स्वत: संज्ञान लेते हुए मेला अधिकारी को पांच फरवरी को कोर्ट में तलब किया है। कोर्ट ने पूछा है कि मेले में मानव जीवन के लिए खतरनाक बड़े-बड़े झूले किसकी इजाजत से लगाए जाते हैं। इन्हें लगाने की अनुमति देने से पहले क्या मापदंड अपनाए जाते हैं।

यमूर्ति शेखर कुमार यादव की एकल पीठ ने बरेली के झूला संचालक नसीर अली की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है। बरेली के भोजीपुरा थाना क्षेत्र में झूले से हुई मौत के मामले की कोर्ट सुनवाई कर रही है। वादी के भाई शिवकुमार की मौत ब्रेक डांस झूले में लगे नंगे विद्युत तार के चपेट में आने से हुई थी।

वादी ने झूला संचालक नासिर अली को भाई की मौत के लिए जिम्मेदार बताते हुए गैरइरादतन हत्या की एफआईआर दर्ज कराई थी। पुलिस ने झूला संचालक को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। जिला जज की अदालत से जमानत खारिज होने के बाद नसीर ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

मानव जीवन के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं

जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने प्रयागराज के माघ मेले में लगे हुए खतरनाक झूलों का संज्ञान ले लिया। कोर्ट ने कहा कि अक्सर मेले के आयोजन में बड़े-बड़े और ब्रेकडांस जैसे झूलों पर लोगों के बेहोश होने और मृत्यु होने तक की खबरें सामने आती हैं।

कोर्ट ने हैरानी जताते हुए कहा कि अगर इस तरह के झूले मानव जीवन के लिए खतरनाक हैं तो इन्हें मेले में लगाने की इजाजत कैसे दे दी जाती है। इसी कड़ी में कोर्ट ने प्रयागराज के माघ मेला अधिकारी को सोमवार को कोर्ट में इस जानकारी के साथ तलब किया है कि यहां मानव जीवन के लिए खतरनाक ऐसे झूलों को लगाने की इजाजत किस मापदंड के आधार पर दी गई है।

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