हजारों कल्पवासी और साधु संतों ने गंगा में किया दीपदान

प्रयागराज। अखिल भारतीय दण्डी सन्यासी परिषद के संरक्षक के नेतृत्व में परिषद के सभी पदाधिकारी और सैकड़ों की संख्या में दण्डी स्वामी और हजारों भक्तों ने गुरूवार की सायं गंगा माॅं को दीपदान कर प्रार्थना की कि एनआरसी के विरोध करने वालों को सद्बुद्धि प्राप्त हो और अयोध्या में भगवान श्री राम के मंन्दिर का निर्माण जल्द प्रारम्भ हो।
माघ मेला में गुरुवार सायंकाल श्री दण्डी स्वामी नगर के निकट पुल नम्बर पांच के पास श्री नागेश्वर धाम अन्नक्षेत्र पंडाल से जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी महेशाश्रम जी महाराज की अगुवाई में हजारों भक्त और दण्डी सन्यासी ने राम जन्मभूमि मंदिर ट्रस्ट के गठन के बाद खुशी व्यक्त करते हुए गाय, गंगा और गायत्री की रक्षा के साथ ही एनआरसी के समर्थन में पंडाल से निकलकर माॅं गंगा की ओर प्रस्थान किये। हजारों की संख्या में साधु संत और कल्पवासी शोभायात्रा के लिए गंगातट पर पहुंचे, जहां सभी ने माॅं गंगा को दीपदान किया। इस दौरान सभी के चेहरों पर अयोध्या में राम जन्मभूमि ट्रस्ट के गठन को लेकर संतों में खुशी भी दिखायी दे रही थी।
इस दौरान शंकराचार्य स्वामी महेशाश्रमजी महाराज ने कहा कि देश में एनआरसी का विरोध करने वाले लोगों पर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज होना चाहिए। विरोध करने वाले लोग देश की एकता और अखंडता को प्रभावित करने का कुचक्र रच रहें हैं। ऐसे में सारे सनातन धर्म के साधु-संत इसका पुरजोर जवाब देगें, साथ ही अयोध्या में भव्य राम मंदिर ट्रस्ट बनने के लिए जो ट्रस्ट की घोषणा की गई है उससे साधु संत काफी खुश हैं और अब विश्वास हो गया है कि अयोध्या में जल्द से जल्द भव्य राम मंदिर के निर्माण के लिए कार्य शुरू हो जायेगा।
अखिल भारतीय दण्डी सन्यासी परिषद के अध्यक्ष स्वामी ब्रह्माश्रम महाराज ने कहा कि देश पर जब-जब खतरा मंडराता है तो साधु संत अपना बलिदान देकर भी देश की एकता और अखंडता की रक्षा करते रहते हैं। महामंत्री शंकराश्रम ने कहा कई वर्षों से राम मंदिर के लिए संत लगातार आन्दोलन करते रहे लेकिन अब समय बिल्कुल नजदीक आ गया है। अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण शुरू होगा। उन्होंने केन्द्र सरकार के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी सनातन धर्मावलंबियों के लिए प्रयत्नशील हैं और संत भी उनके इस प्रयास में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं। इस मौके पर दण्डी स्वामी रविन्द्राश्रम, देवेन्द्राश्रम, हरदेवाश्रम, ब्रह्मस्वरुप ब्रह्मचारी, डॉ.सुमन आश्रम, देवी निहारिका, आचार्य धनंजय समेत हजारों की संख्या में भक्त और साधु संत शामिल रहे।

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