स्वर्णिम भारत के निर्माण के लिए सर्व शक्तिमान परमपिता परमात्मा से संबंध जरूरी – ब्रह्माकुमारी उषा दीदी

महाकुंभ नगर ।
आत्मा और परमात्मा के ज्ञान के अध्ययन से मनुष्य के जीवन में सच्ची सुख- शांति का अनुभव होता है, प्रयागराज त्रिवेणी के संगम पर सभी ने स्नान के साथ- साथ आध्यात्मिक ज्ञान का स्नान भी किया और आज के समय में आत्मा को ज्ञान स्नान करने की ही जरूरत है जिससे ही हमारे मन की मैल धुल सकेगी” उक्त उद्गार ब्रह्माकुमारी संस्थान के मुख्यालय माउंट आबू से आई वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका ब्रह्माकुमारी राजयोगिनी उषा दीदी के हैं। वह प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के सेक्टर 7 स्थित स्वर्णिम भारत ज्ञान कुंभ मेले में आयोजित संत सम्मेलन में उपस्थित संत जनों के बीच अपनी बात रख रही थी।  उन्होंने कहा कि सर्वशक्तिमान परमात्मा सर्वगुणों और शक्तियों का स्रोत हैं। जब हम राजयोग का अभ्यास करते हैं तो अपने मन और बुद्धि को परमात्मा से जोड़ते हैं जिससे परमात्मा के उन गुणों का स्वयं में अनुभव करते हैं और धीरे-धीरे हम गुणों और शक्तियों का प्रत्यक्ष स्वरूप बन जाते हैं।
स्वर्णिम भारत के निर्माण में आध्यात्मिकता का योगदान विषय पर आयोजित इस संत सम्मेलन में अयोध्या से आए *जगद्गुरु ओंकारानंद सरस्वती* जी महाराज ने कहा कि ब्रह्माकुमारी संस्था दुनिया में सुख-शांति की स्थापना के लिए समर्पित है, ब्रह्माकुमारी संस्थान की मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी रतन मोहिनी जी विश्व की और सारे समाज की अनमोल धरोहर हैं। आज के इस कलह क्लेश के समय सबके जीवन में शांति स्थापित करने का संकल्प इन ब्रह्माकुमारी बहनों ने लिया हुआ है, ऐसे धवल वस्त्र धारी ब्रह्माकुमारी बहनों को मैं दिल से नमन करता हूं।
वहीं *आचार्य बृृजेशानंद जी महाराज* ने ब्रह्माकुमारी संस्थान द्वारा आध्यात्मिकता के क्षेत्र में किए गए कार्यों को जमकर सराहा..उन्होंने कहा की अगर भारत में राम राज्य लाना चाहते हैं तो आध्यात्मिकता का मार्ग जीवन में अपनाना होगा।
 *श्री गिरधारी जी महाराज* – महंत दिव्य शक्ति अखाड़ा ने कहा कि उन्हें बहनों को सुनना बहुत अच्छा लगता है एवं इनके निमंत्रण पर पहुंचना हमारा सौभाग्य होता है। सारे विश्व में ब्रह्माकुमारी बहनों की सेवा फैली है और हमारा संत समाज भी इतना फैला हुआ है लेकिन इन बहनों ने विश्व स्तर पर सनातन धर्म का जो प्रचार प्रसार किया है, उतना  कोई नहीं कर सका है। इसलिए इन ब्रह्मा कुमारी बहनों का स्वागत हम जितना करें उतना कम है इन्होंने सनातन धर्म का जागरण बहुत किया है। इस मौके पर कटनी मध्यप्रदेश से पधारे त्यागी जी महाराज ने कहा आप में दुनिया को बदलने का सामर्थ्य है यदि आप यहां आए हैं तो निश्चित रूप से आपकी ऊर्जा अद्भुत है..
 *महंत प्रेमानंद महाराज (अद्वैत स्वामी जी)* ने अपने विचार रखते हुए कहा कि परमात्मा शिव ने प्रजापिता ब्रह्मा के द्वारा जो एकात्मवाद का पाठ पढ़ाया, वह सारे धर्मों का मूल है और यही सनातन धर्म का बीज भी है।
सर्व मांगल्य सनातन धर्म संस्थान के संस्थापक *आचार्य योगी मनीष* ने भी सभा को संबोधित किया।
इस अवसर पर मेले की संयोजिका और ब्रह्माकुमारीज के प्रयागराज जोन की संचालिका राजयोगिनी बीके *मनोरमा दीदी* ने सभी संतो का स्वागत किया और कहां की प्रयाग की भूमि पुण्य सलिला मां गंगा का तट अनंत काल से त्याग तपस्या की भूमि रहा है। ऐसे  समय पर 144 साल के बाद यह सुखद महाकुंभ निश्चित तौर पर भारत में सनातन धर्म के पुनरोत्थान का एक महत्वपूर्ण कारक बनेगा। लखनऊ से आई वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका ब्रह्माकुमारी राधा दीदी ब्रह्माकुमारी संस्थान का परिचय सभी उपस्थित महानुभावों को दिया।
लंदन से आई वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका ब्रह्माकुमारी गोपी दीदी ने राजयोग मेडिटेशन की कमेंट्री द्वारा सभी को शांति की अनुभूति कराई और गुजरात के वल्लभ विद्यानगर से आई वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका  ब्रह्माकुमारी जागृति दीदी ने सफलतापूर्वक मंच का संचालन किया।
अंत में सभी संतो को ब्रह्माकुमारी संस्थान द्वारा शॉल ओढ़ाकर व ईश्वरीय सौगात भेंट कर सम्मानित किया गया।
सभी संतों ने मेले में लगी प्रेरणादाई मनोरम झांकी का अवलोकन किया और स्वर्णिम दुनिया को दर्शाती प्रदर्शनी एवं चैतन्य देवियों की झांकी का अवलोकन कर खुले हृदय से प्रशंसा की।
कार्यक्रम की शुरुआत मंचासीन सभी महान संतों के द्वारा दीप प्रज्वलन और दिल्ली से आए *ब्रह्माकुमार चाँद बजाज* द्वारा परमात्मा शिव के मधुर गीतों से की गई ।

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