सोलोमन को लेकर आमने सामने आए चीन और अमेरिका

एक वरिष्ठ अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल ने शुक्रवार को सोलोमन द्वीप के नेताओं से मुलाकात करने के बाद चेतावनी दी कि प्रशांत महासागर में स्थित द्वीप देश में चीनी सेना की स्थायी रूप से मौजूदगी स्थापित करने के किसी प्रयास का वह उचित जवाब देगा। हालांकि व्हाइट हाउस ने इस बात का कोई संकेत नहीं दिया कि उस स्थिति में अमेरिका का जवाब क्या होगा, लेकिन उसके ठोस लहजे से चीन के बढ़ते कदम से अमेरिका को कितनी चिंता है इसका पता चलता है।ही कारण है कि अमेरिका ने इस सप्ताह द्वीप देश के लिए अपना प्रतिनिधिमंडल भेजा। व्हाइट हाउस से जारी बयान में कहा गया है कि सोलोमन द्वीप के प्रधानमंत्री मानासेह सोगावरे ने व्हाइट हाउस हिंद-प्रशांत समन्वयक कुर्ट कैंपबेल की अगुआई वाले प्रतिनिधिमंडल से दोहराया कि चीन के साथ हुए समझौते के तहत उनके देश में कोई सैनिक अड्डा नहीं होगा, लंबे समय तक सेना की मौजूदगी नहीं होगी और क्षमता का शक्ति प्रदर्शन भी नहीं होगा।

यह पहली बार नहीं है कि अमेरिका ने सोलोमन के मसले को लेकर चीन को निशाने पर लिया है। हाल ही में अमेरिका ने सोलोमन और चीन के बीच हुए समझौते के बारे में चिंता जताते हुए चेतावनी दी थी कि यदि बीजिंग इस पर कोई सैन्य मौजूदगी बनाता है तो इसका मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। मालूम हो कि चीन और सोलोमन के बीच सुरक्षा सहयोग को लेकर हुए एक समझौते के बाद अमेरिका समेत पड़ोसी मुल्‍क अलर्ट हो गए हैं।

उल्‍लेखनीय है कि सोलोमन द्वीप की राजधानी होनीआरा में पिछले साल दंगे हुए थे। इस घटना में दंगाइयों ने कई इमारतों को आग के हवाले कर दिया था और दुकानें लूट ली थी। इस दंगों को शां‍त कराने के लिए आस्ट्रेलिया एवं अन्‍य पड़ोसी मुल्‍कों ने सुरक्षा सहायता भेजी थी। अब चीन के साथ सोलोमन द्वीप के समझौते से तनाव पैदा हो गया है। इस समझौते पर आस्‍ट्रेलिया, न्‍यूजीलैंड और अमेरिका पहले ही चिंता जता चुके हैं। दरअसल इस समझौते ने यहां चीन के नेवल बेस स्‍थापित करने की राह आसान कर दी है।

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