प्रयागराज। कोई व्यक्ति बिना प्रतिभा के नहीं होता। प्रत्येक व्यक्ति में क्षमता विद्यमान है, उसकी क्षमता का उपयोग होना चाहिए। इसी प्रकार कोई व्यक्ति अक्षम नहीं है, सभी में विशेष प्रकार की क्षमता विद्यमान होती है। सेवा का भाव ही हमारी संस्कृति के मूल में विद्यमान है।
उक्त विचार उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. कामेश्वर नाथ सिंह ने शिक्षा विद्या शाखा के तत्वावधान में तीन दिवसीय सतत पुनर्वास शिक्षा कार्यक्रम सी.आर.ई के समापन सत्र में सोमवार को व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि प्रकृति ने ऐसा कोई पौधा नहीं बनाया जो बिना औषधि के हो। उसी प्रकार कोई ऐसा व्यक्ति नहीं है, जिसमें कोई प्रतिभा न हो। हमें समाज के सभी वंचित, शोषित, अपरिहार्य कारणों से मुख्यधारा से अलग हो गए व्यक्तियों की क्षमता के अनुरूप उन्हें स्वीकार करने की आवश्यकता है। गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों में दिव्यांगजनों का समावेशन तभी सार्थक होगा, जब हम दिव्यांग व उपेक्षित बच्चों की शिक्षा का समुचित प्रबंध कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि देश में उच्च शिक्षा की समस्याओं का समाधान दूरस्थ शिक्षा पद्धति कर सकती है। आज हमारा देश एक ज्ञान सम्पन्न समुदाय के रूप में विकसित हो रहा है।
डॉ.शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय, लखनऊ के प्रो. रजनी रंजन सिंह ने कहा कि सरकार गरीबी उन्मूलन के लिए विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम का संचालन कर रही है, परंतु समाज के लोगों तथा दिव्यांगों को उन योजनाओं के बारे में जानकारी ही नहीं है, जिससे उनके मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है। कहा कि उनकी व्यवस्थाओं के मौलिक कर्तव्य भी स्पष्ट नहीं है इसलिए दिन प्रतिदिन समस्याएं बढ़ती जा रही हैं। इन समस्याओं के निराकरण हेतु समाज को जिम्मेदारी लेनी चाहिए और दिव्यांगजनों के प्रति समाज में सकारात्मक दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिससे दिव्यांग बच्चे खुद को समाज का एक अंग महसूस करें न कि सहानुभूति का पात्र।
इस अवसर पर त्रिशला व संवेदना फाउंडेशन की सचिव डॉ. वारिद माला जैन ने कहा कि दिव्यांगों के शिक्षण प्रशिक्षण, व्यवसायिक इत्यादि क्षेत्र में बढ़ावा देने हेतु उनकी आवश्यकताओं के अनुरूप परिवर्तन अत्यंत आवश्यक है। शिक्षा विद्या शाखा के प्रभारी प्रो. पी.के. पांडे ने कहा कि कोई भी व्यक्ति अपने में पूर्ण नहीं है। सभी में किसी न किसी प्रकार की दिव्यांगता निहित है। भारतीय संस्कृति मूल रूप से समावेशी रही है। अतिथियों का स्वागत प्रो. पी.के पांडेय ने एवं कार्यक्रम की रिपोर्ट डॉ. नीता मिश्रा ने प्रस्तुत की। संचालन डॉ. मीरा पाल ने तथा धन्यवाद ज्ञापन प्रो.गिरिजा शंकर शुक्ल ने किया। इस अवसर पर डॉ. कमलेश तिवारी, कमला कांत पांडेय, एस.एस मिश्रा, के.एन मिश्रा, प्रो.प्रदीप कुमार पांडेय, डॉ.नीता मिश्रा, राजमणि पाल, परविंद्र कुमार वर्मा आदि विषय विशेषज्ञों ने गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों में प्रतिभागियों को विशेष जानकारी दी।