लखनऊ ।
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता अमित शाह ने बृहस्पतिवार को समाचार एजेंसी एएनआई पॉडकास्ट को दिए गए साक्षात्कार में उजागर किया कि, ‘सीएए भाजपा के लिए संवेदना का मुद्दा है, पोलिटिकल गेन का नहीं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी शरणार्थियों की वेदना को समझते हैं और इसीलिए उनकी 75 वर्ष लंबी इस वेदना को चुनाव से पहले समाप्त करने का निर्णय लिया गया है।’
देश की जनता यह समझ चुकी है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम मोदी जी और अमित शाह के लिए अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से 31 दिसंबर, 2014 से पहले आए करोड़ों शरणार्थियों को उनके अधिकार देना, उनकी वेदना से उन्हें मुक्ति दिलाना और उनकी तीन पीढ़ियों को न्याय देने का मुद्दा है, जो कांग्रेस ने कभी नहीं दिया। इस कानून के लागू होते ही यह भी जाहिर हो चुका है कि मोदी-शाह ने शरणार्थियों की 75 साल की वेदना का अंत करने का काम किया है। नागरिकता संशोधन अधिनियम के बारे में विपक्षी दलों द्वारा फैलाए जा रहे झूठ के तथ्यों का एक ही जवाब है कि मोदी सरकार सभी पात्र शरणार्थियों को नागरिकता देगी। सीएए नागरिकता देने का कानून है, नागरिकता लेने का नहीं।
राहुल गांधी से लेकर ओवैसी तक और अरविंद केजरीवाल से लेकर ममता बनर्जी तक सभी विपक्षी दलों के नेता झूठ की राजनीति कर रहे हैं। अरविंद केजरीवाल बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों का विरोध करने के बजाए वोटबैंक की राजनीति के लिए शरणार्थियों के खिलाफ भ्रम फैला रहे हैं। ममता बनर्जी को सीएए का विरोध करने की जगह घुसपैठ को रोकना चाहिए। दरअसल हिंदू और मुसलमानों के बीच द्वेष पैदा कर अपने वोट बैंक को साधना चाहती हैं ममता बनर्जी। भाजपा के बढ़ते विस्तार से यह मान लेना चाहिए कि वह दिन दूर नहीं है जब पश्चिम बंगाल में भी भाजपा की सरकार होगी और घुसपैठ पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। कोई भी राज्य यदि यह दावा कर रहा है कि उनके यहाँ सीएए लागू नहीं होगा तो उनके लिए भी अमित शाह का स्पष्ट संदेश है कि, ‘नागरिकता कानून केंद्र का विषय है, राज्यों के विरोध का कोई बुनियाद नहीं।’
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने 2019 लोकसभा चुनाव के अपने घोषणापत्र में ही सीएए लागू करने की बात कही थी और केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह के कुशल मार्गदर्शन में 2024 के लोकसभा चुनाव के पहले देश भर में सीएए लागू कर दिया गया।
भारतीय राजनीति के चाणक्य और बड़े-से-बड़े निर्णय को सफलतापूर्वक अंजाम तक पहुँचाने वाले शाह के रवैये से यह साफ है कि, न इंडिया एलाएश सत्ता में आने वाला है, और न ही सीजे जाने वाला है। ध्यान देने लायक बात यह है कि किसी भी मुस्लिम के लिए भारत की नागरिकता लेने का रास्ता बंद नहीं किया गया है। दरअसल मोदी सरकार के हर फैसले का विरोध करना विपक्ष की आदत बन गई है, जिसका उदाहरण है – सर्जिकल, एयर स्ट्राइक, धारा 370 को हटाना, तीन तलाक को हटाना आदि।
2024 लोकसभा चुनाव में घमंडिया गठबंधन को करारी शिकस्त देने के लिए भारतीय राजनीति के चाणक्य एक बार फिर से मोदी सरकार की उपलब्धियों के साथ मैदान में उतर चुके हैं। दुनिया जानती है कि जब शाह मैदान में उतरते हैं तो कमल का पताका जरूर फहराता है। बीते 10 वर्ष की उपलब्धियों के आधार पर देश की जनता ने भी एक बार फिर से नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने का मन बना लिया है।