सिफरी ने सरयू नदी में दो लाख मछलियों को छोड़ा

प्रयागराज। भा.कृ.अनु.प. केन्द्रीय अन्तस्र्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर, कोलकाता पहली बार ‘राष्ट्रीय रैनिं्चग कार्यक्रम’ बड़े धूमधाम से मनाने जा रहा है। जिसके तहत पंद्रह दिन के भीतर ही बीस लाख से ज्यादा मत्स्य बीज छोड़ने का लक्ष्य रखा गया है। जिसके तहत मंगलवार को सरयू नदी के तट पर स्थित अयोध्या में किया गया।

हालांकि लगभग 45 लाख से ज्यादा मत्स्य बीज गंगा नदी में आने वाले राज्यों (उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखण्ड और पश्चिम बंगाल) के विभिन्न नदी घाटों से छोड़ा जा चुका है। लेकिन उक्त कार्यक्रम को इस बार मिशन स्तर पर किया जा रहा है। कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए संस्थान ने गंगा के बहने वाले मार्ग जैसे उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखण्ड और पश्चिम बंगाल में ‘नमामि गंगे’ परियोजना के तहत बीते 14 मई से कई विभिन्न कार्यक्रम जैसे मत्स्य बीज को गंगा में छोड़ना, डॉल्फिन व जल संरक्षण और जन जागरूकता का आयोजन किया जा रहा है। रैचिंग कार्यक्रम का शुभारम्भ 14 मई को बैरकपुर से ‘राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन’ के महानिदेशक जी. अशोक कुमार ने किया और आज यह कार्यक्रम सरयू नदी के तट पर स्थित अयोध्या में किया गया।

यह जानकारी नमामि गंगे, प्रयागराज के राजेश शर्मा ने देते हुए बताया है कि इसके अंतर्गत दो लाख भारतीय प्रमुख कार्प मछलियों के अंगुलिकाओं को सरयू नदी में छोड़ा गया। इनका प्रजनन गंगा नदी से पकड़ी गई ब्रूडर से किया गया है। इस कारण नदी में छोड़ने के बाद मछलियों का आनुवंशिक शुद्धता बना रहेगा। कार्यक्रम में संस्थान के निदेशक तथा परियोजना के मुख्य अन्वेषक डॉ बी.के दास ने परियोजना के प्रमुख उद्देश्यों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि रोहू, कलबासु और मृगाल-नैनी जैसी मछलियाँ न केवल नदी के स्टॉक में वृद्धि करेंगी बल्कि नदी की स्वच्छता को बनाए रखने में भी मदद करेंगी।

श्री शर्मा ने बताया कि कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वेद प्रकाश गुप्ता, विधायक अयोध्या तथा विशिष्ट अतिथि नीतीश कुमार, जिलाधिकारी अयोध्या ने सभा को सम्बोधित किया और सभा में सक्रिय 25 मछुआरों को मछली पकड़ने के लिए कास्ट नेट, फेंकने वाला जाल दिया जिससे इनके जीविका में सुधार होगा। संस्थान के केन्द्राध्यक्ष डाॅ डी.एन झा ने लोगों का स्वागत किया। डॉ वेंकटेश ठाकुर, वैज्ञानिक ने सभी का धन्यवाद ज्ञापन करते हुए आश्वस्त किया कि समाज के भगीदारी से हम इस परियोजना के उद्देश्यों को पाने में सफलता प्राप्त करेंगे। कार्यक्रम में संस्थान के वैज्ञानिक डॉ हिमांशू स्वाइन, डॉ रामटेक, डॉ विकास कुमार तथा अन्य शोधार्थीयों एवं कर्मियों ने भाग लिया।

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