नैनी प्रयागराज/भारतीय जनता पार्टी अल्पसंख्यक मोर्चा काशी क्षेत्र,क्षेत्रीय उपाध्यक्ष सरदार पतविंदर सिंह ने नैनी क्षेत्र में भ्रमण करते हुए एक दिया अपनी बेटी के नाम से जलाएं और यह प्राण ले की अपने आसपास कन्या भ्रूण हत्या नहीं होने देंगेl
सरदार पतविंदर सिंह ने आगे कहा कि दिवाली त्योहार के दिन ही,सिख धर्म के अनुयायी ‘बंदी छोड़ दिवस’ के नाम से त्यौहार मनाते हैं। इस त्यौहार को मनाने के पीछे का इतिहास बड़ा रोचक है। जानकारी के मुताबिक सिख धर्म के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए बादशाह जहांगीर ने सिखों के छठवें गुरू हरगोविंद साहिब जी को बंदी बना लिया। उसने हरगोविंद साहिब जी को ग्वालियर के किले में कैद कर दिया जहां पहले से ही 52 हिन्दू राजा कैद थे। लेकिन संयोग से जब जहांगीर ने गुरू हरगोविंद साहिब जी को कैद किया, वह बहुत बीमार पड़ गया। काफी इलाज के बाद भी वह ठीक नहीं हो रहा था। तब बादशाह के काजी ने उसे सलाह दिया कि वह इसलिए बीमार पड़ गया है क्योंकि उसने एक सच्चे गुरु को कैद कर लिया है।अगर
वह स्वस्थ होना चाहता है तो उसे गुरु हरगोविंद सिंह को तुरंत छोड़ देना चाहिए। कहते हैं कि अपने काजी की
सलाह पर काम करते हुए जहांगीर ने तुरंत गुरु को छोड़ने का आदेश जारी कर दिया। लेकिन गुरु हरगोविंद सिंह जी ने अकेले रिहा होने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि वे जेल से बाहर तभी जायेंगे जब उनके साथ कैद सभी 52 हिन्दू राजाओं को भी रिहा किया जायेगा। गुरू जी का हठ देखते हुए उसे सभी राजाओं को छोड़ने का आदेश जारी करना पड़ा। लेकिन यह आदेश जारी करते समय भी जहांगीर ने एक शर्त रख दी। उसकी शर्त थी कि कैद से गुरू जी के साथ सिर्फ वही राजा बाहर जा सकेंगे जो सीधे गुरू जी का कोई स्पर्श या कपड़ा पकड़े हुए होंगे।
उसकी सोच थी कि एक साथ ज्यादा राजा गुरू जी को छू नहीं पायेंगे और इस तरह बहुत से राजा उसकी कैद में ही रह जायेंगे। जहांगीर की चालाकी देखते हुए गुरू जी ने एक विशेष कुरता सिलवाया जिसमें 52 कलियां बनी हुई थीं। इस तरह एक-एक कली को पकड़े हुए सभी 52 राजा जहांगीर की कैद से आजाद हो गये। जहांगीर की कैद से आज़ाद होने के बाद जब गुरू हरगोविंद सिंह जी वापस अमृतसर पहुंचे तब पूरे अमृतसर में दीप जलाकर गुरू जी का स्वागत किया गया। गुरु इतिहास को बताने वालों में सरदार पतविंदर सिंह,सुरेंद्र सिंह,परविंदर सिंह बंटी,अनिल सेठी,परमिंदर सिंह, गुरविंदर सिंह,हरमन जी सिंह सहित कई सामाजिक,राजनीतिक, साहित्यकार उपस्थित रहेl