सम्मान का टोकरा

डॉ कुसुम पांडे

सुबह ही मेरे बड़े भाई का फोन आया और उन्होंने अपनी बेटी की शादी के लिए निमंत्रण दिया साथ ही बहुत आग्रह के साथ बुलाया और यह भी सलाह मांगी कि सब कुछ अच्छे से संपन्न हो जाए और किसी को कोई दिक्कत भी ना हो।

तो मेरे मन में यह विचार आया कि वास्तव में वर पक्ष और वधू पक्ष भी कम मानसिक तनाव में नहीं है। कोविड-19 ने सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का स्वरूप ही बदल दिया है और पुरानी और नई कई तरह की समस्याएं भी दिख रही हैं।

कहते हैं कि किसी से सम्मान पाने के लिए पहले सम्मान देना पड़ता है और यह बिल्कुल सही बात भी है लेकिन साथ ही यह बहुत बड़ी समस्या तक बन जाती है जब लोग सम्मान का पैमाना अपने हिसाब से निर्धारित करने लगते हैं।

आजकल शादियों का शुभ अवसर आने को तैयार खड़ा है और इस कोरोनावायरस के समय में विवाह कार्यक्रम संपादित करवाना, व्यवस्था करना अपने रिश्तेदारों को बुलाना ही नहीं वरन् उनकी सुरक्षा का ध्यान रखना भी एक बड़ी चुनौती है और इन सब के बीच सब का सम्मान भी यथोचित  सुरक्षित रहना चाहिए।

वैसे तो लगभग हर शादी में कुछ विशेष प्रकार के रिश्तेदार और इष्ट, मित्र होते हैं जिनको चाहे लाख अच्छी व्यवस्था कर दी जाए कुछ कमी अवश्य लगती है।

सामान्य परिस्थितियों में भी लोग तरह-तरह की शिकवा, शिकायत करने से बाज नहीं आते थे मसलन.. समय से चाय नहीं मिली, खाने में स्वाद नहीं है, आराम करने की ठीक से व्यवस्था नहीं की गई है, कोई खाना ही पूछने नहीं आया और बाकी कसर विदाई के समय पूरी हो जाती है कि ठीक से विदाई तक नहीं की …कम से कम एक डिब्बा मिठाई का तो देते आखिर हम शादी से वापस जाकर लोगों को क्या बताएंगे?? ऐसे ही और न जाने कितनी बेवजह की शिकायतें और परेशानियां

हालांकि कोविड-19 ने कुछ विषयों पर आत्म चिंतन करने का संकेत तो अवश्य दिया है जैसे कि बिना दिखावे या आडंबर के कोई भी कार्यक्रम चाहे शादी हो या सगाई करने का प्रयास करना चाहिए और साथ ही कम से कम संख्या में लोगों को कार्यक्रम में उपस्थित होना चाहिए।

जिनके यहां कार्यक्रम है वह यह सोच रहे हैं कि जिसको नहीं बुलाएंगे वह नाराज हो जाएगा लेकिन मेरी राय में ऐसा बिलकुल नहीं होना चाहिए क्योंकि कोविड-19 में सुरक्षा और सतर्कता तो सभी के लिए समान रूप से आवश्यक है, और अगर कुछ लोग नाराज हो भी जाते हैं तो अगर जीवन रहा तो उन्हें मनाने का अवसर भी तो अवश्य ही मिल जाएगा ।नाराजगी के भय से भीड़ बढ़ाकर किसी की भी जान को जोखिम में ना डालना ही ज्यादा उपयुक्त रहेगा।

अगर कम लोगों में कार्यक्रम संपन्न होगा तो शारीरिक दूरी के लिए पर्याप्त स्थान भी मिल जाएगा और शादी विवाह की फोटो में आपका चेहरा भी देखने को मिल जाएगा जोकि ज्यादा भीड़ होने से संभव नहीं हो पाता है।

वैसे तो मास्क लगाकर और शारीरिक दूरी बनाकर बहुत से जोखिम से से बचा जा सकता है और सभी को इसका प्रयास भी करना चाहिए… सुरक्षित दूरी  है सबसे
जरूरी।

इस समय इस बात की चिंता नहीं करनी चाहिए कि नहीं बुलाया तो गलत किया या नहीं आया तो गलत किया अपने मन में आदर से यही विचार करना चाहिए कि इसी में सबका हित छुपा है।

जहां तक आशीर्वाद स्वरुप निमंत्रण का प्रश्न है तो गूगल पे और पेटीएम बहुत हद तक हमारी समस्या को दूर करने में पूरा सहयोग कर रहे हैं।

हो सकता है कि कुछ लोगों को मेरी बातें कुछ अटपटी लगें परंतु परिस्थितियों को देखते हुए ऐसा निर्णय स्वागत योग्य होना चाहिए क्योंकि बीमारी का भय और उसकी गंभीरता से सभी वाकिफ हैं।

दोनों पक्षों की समस्या है कि बिना किसी विघ्न बाधा के सब कुछ सुरक्षित रूप से संपन्न हो जाए और ऐसा तो सभी के सार्थक प्रयास से ही संभव हो पाएगा।

सम्मान कोई टोकरा नहीं है जिसे किसी के सिर पर रख कर दिखाना होता है, बल्कि यह तो ऐसा आदर भाव है जो आप के सकारात्मक विचारों से किसी के भी दिल में आपका स्थान ऊंचा कर देता है और अगर सच में हम रिश्तेदार, मित्र, हितैषी हैं तो समय की नजाकत देखते हुए हमें स्वयं ही आगे बढ़ कर अपने शुभचिंतकों और रिश्तेदारों को इस दुविधा से निकालने में मदद करनी चाहिए।

जो लोग इस शुभ अवसर पर जाएं वह कमियां ना देख कर वरन् सराहना करें कि इस विषम परिस्थिति में भी कितनी उचित व्यवस्था की है। उनका मनोबल बढ़ाएं और साथ ही ना जाकर आप भी सहयोग ही कर रहे हैं इस बात के लिए खुद की भी तारीफ दिल ही दिल में अवश्य करें।

यह मानकर चलें कि अच्छा समय फिर लौटकर आएगा तब उसी तरह का आनंद लिया जाएगा अभी तो बस जैसी परिस्थिति वैसा काम और सही मायने में तभी हो सकता है अपना और अपनों का उचित सम्मान

मन में संसार की समस्त सुख  सुविधाओं और खुशियों की कामना करते हुए नवयुगल के लिए ईश्वर से आशीर्वाद मांगना ही आवश्यक है, बिना इस बात की चिंता किए कि हमारा सम्मान तो नहीं आहत हो रहा है। अपनों के लिए अपनापन ज्यादा आवश्यक है, किसी तरह की औपचारिकता की कोई जरूरत नहीं होती है।
उम्मीद है कि आप सभी मेरी इस बात पर विचार अवश्य करेंगे।

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