डॉ कुसुम पाण्डेय
प्रयागराज! समय कभी रुकता नहीं कोई भी परिस्थिति हो, कोई भी महामारी हो, समय अपनी गति से आगे बढ़ता रहता है। बात कोविड-19 की हो रही है क्योंकि यह एक वैश्विक महामारी के रूप में आई है और इसकी मार तो जीवन के हर क्षेत्र पर पड़ी है। सामाजिक ,आर्थिक, पारिवारिक कोई भी क्षेत्र अछूता नहीं है लेकिन फिर भी समय अपनी चाल से चलता ही जा रहा है।
“मैने भी समय से दोस्ती कर ली सुना है कि यह अच्छे अच्छों को बदल देता है!!
हां यह सच ही तो है कुछ भी नहीं रुका है। लाक डाउन 4 भी खत्म होने को है, जैसे तैसे जीवन जीने की कला भी सीख ली है। शादी विवाह भी कुछ लोगों ने जैसे-तैसे निपटा लिया कुछ ऑनलाइन परीक्षाएं भी शुरू हो गई हैं। व्यापार, रोजगार, कामगार सभी अपने अपने तरीके से काम पर लग गए हैं। प्लेन चल गई, ट्रेन चल गई, मजदूरों को भी उनके घर पहुंचाया जा रहा है और इस पर राजनीति भी शुरू हो गई है। जहां संकट की घड़ी में सब को एक साथ होना चाहिए वहीं विपक्षी दल वही पुराना राग अलाप रहे हैं एक बात तो समझ में आ गई है कि कोरोना ने भले ही लाॅक डाउन करा दिया है लेकिन राजनीति पर कोरोना भी लॉकडाउन नहीं करा सकी। वही ओछी और गंदी राजनीति।
जहां प्रधान सेवक ने कोई कसर नहीं छोड़ी कि कोरोना महामारी का असर देश पर कम से कम हो लेकिन विपक्षियों को हर जगह कमी ही नजर आती है। देश की जनता ने तो बहुत संयम का परिचय दिया और काफी हद तक दिशा निर्देशों का पालन कर अपना सहयोग किया लेकिन जैसे-जैसे ढील दी गई तो अब लोग भी आतुर हैं बाहर निकलने को लेकिन एक बात हम सब को समझनी होगी कि अब अपनी इस आदत में सुधार लाना होगा, माना कि सालों से आजाद जीवन जीने की आदत के बाद अब यह सब बहुत उबाऊ लग सकता है किंतु समझदारी वही है कि आप समय का रुख देखकर काम करें।
बीमारी से परेशानी हो, इससे बेहतर है कि हम बीमारी से बचने का ही प्रयास करें।लॉक डाउन ने जीवन जीने का तरीका सिखा दिया है तो भाई जितना जरूरी है बस उतना ही काम करें क्योंकि हमारी सब की समझदारी बहुत सारे जन और धन को बचा सकती है।
सरकार के लिए भी यह बड़ी चुनौती है कि इतने प्रवासी मजदूरों और कामगारों के लिए व्यवस्था करना फिर भी सफल प्रयास किए जा रहे हैं। चिकित्सा के क्षेत्र में भी बहुत काम हो रहा है लेकिन अगर हम खुद को ही नियंत्रित कर लेंगे तो बहुत कुछ संभाला जा सकता है।
फेस मास्क, साबुन पानी, सैनिटाइजर शारीरिक दूरी अभी तो ठीक है लेकिन यह सब लंबे समय तक हमारे साथी ना बने इसका प्रयास हमें ही करना है।होम क्वॉरेंटाइन भी तभी संभव है जब सबके पास बड़े घर हो लेकिन ऐसा नहीं है तो फिर हमारे पास जो विकल्प हो हमें उसी में बेहतर का चुनाव करना है तो बेवजह घर से बाहर जाना क्यों??
कहते हैं ना गीता बड़ी ना कुरान बड़ा जो इंसान मुसीबत में साथ खड़ा वह इंसान सबसे बड़ा इसलिए अब हम सबको ही बड़ा इंसान बनना है, तभी एक दूसरे को मुसीबत से बचाया जा सकता है। लंबी लड़ाई है तो थकान होगी ही लेकिन थक कर बैठ जाना और थकान मिटते ही फिर से अपनी जिम्मेदारी और समझदारी पर ध्यान देना जरूरी है।
इस समय हमारा देश कई तरह की समस्याओं से घिरा है। कोरोनावायरस,तूफान, सीमा सुरक्षा, टिड्डी दल का आतंक और भी बहुत सारी परेशानियां तो फिर अपने देश के हित में जो हमारे बस में है, हमें उतना प्रयास तो अवश्य करना है, शायद यह हम सब देशवासियों के लिए भी परीक्षा की घड़ी है तो हमारी तैयारी भी अधूरी नहीं होनी चाहिए, पूरी हिम्मत और ताकत से कोरोना युद्ध को जीतने के लिए आगे बढ़ते रहना है जैसे हम अपने बच्चों को प्रोत्साहित करते हैं, अब समय पूरे देशवासियों को प्रोत्साहित करने का है,” कहा जाता है कि कितनी ही काली रात हो सवेरा अवश्य होता है” वैसे ही कितनी भी बड़ी आपदा हो उसे जाना ही है, बस समय के साथ हमारा चलना और हमारे मानसिक संबल का ऊंचा रखना जरूरी है। लाॅक डाउन के खत्म होने का इंतजार नहीं करना है। इस महामारी से जीतने के लिए जो भी उपाय हैं उन पर हमें चलते जाना है, चलते जाना है, चलते जाना है।