प्रस्तावित नए श्रम कानून के तहत सप्ताह में तीन दिन अवकाश का कोई प्रावधान नहीं है। अरसे से 29 श्रम कानूनों का दायरा चार श्रम कानून तक सीमित करने में जुटी सरकार का लक्ष्य इसके माध्यम से श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ रोजगार सृजन और उद्योग और श्रमिकों के बीच बेहतर-व्यावहारिक संतुलन स्थापित करना है।
बृहस्पतिवार 25 अगस्त को तिरुपति में होने जा रहे श्रम मंत्रियों के सम्मेलन में नए कानून को लागू करने पर सहमति बन सकती है। प्रधानमंत्री मोदी सम्मेलन का वर्चुअल उद्घाटन करेंगे। श्रम मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक इसी बैठक में नए श्रम कानून को लागू करने पर सहमति बनने के आसार हैं, क्योंकि इससे जुड़े सभी प्रावधानों को लेकर सभी राज्यों में सहमति बन गई है।
गौरतलब है कि सरकार ने 29 श्रम कानूनों के बदले इसे चार हिस्सों पारिश्रमिक संहिता, सामाजिक सुरक्षा संहिता, औद्योगिक संबंध संहिता, पेशागत सुरक्षा संहिता में विभाजित करने का फैसला किया है। इनमें पारिश्रमिक संहिता को लेकर 31 राज्यों में, सामाजिक सुरक्षा संहिता पर 27 राज्यों, औद्योगिक संबंध संहिता पर 25 तो पेशागत सुरक्षा संहिता पर 24 राज्यों ने नए श्रम कानूनों के तहत अपना नियम तैयार कर लिया है। श्रम मंत्रियों के सम्मेलन में कुछ मुद्दों पर राज्यों की असहमतियों पर विमर्श के बाद नए श्रम कानूनों को लागू करने की तारीख पर सहमति बन सकती है। गौरतलब है कि नए श्रम कानूनों को पहले एक जुलाई से लागू करने की योजना थी।
कुल वेतन का 50% बेसिक अनिवार्य
लक्ष्य श्रमिकों के साथ उद्योग का बेहतर तालमेल सुनिश्चित कर निवेश और उद्योग के लिए अच्छा माहौल बनाने का है। इसके तहत श्रमिकों का बेसिक वेतन उसके कुल वेतन का कम से कम 50 फीसदी करना अनिवार्य किया गया है। हालांकि इसके साथ ही नए कानून के लागू होने के बाद पीएफ के मद में श्रमिकों के बेसिक का 12 फीसदी की जगह दस फीसदी हिस्सा ही पीएफ के लिए कटेगा।
लेबर कोड पर नियमों को ड्राफ्ट करने का किया जाएगा अनुरोध
सम्मेलन में राज्यों से चार लेबर कोडों पर नियमों को ड्राफ्ट करने की प्रक्रिया तत्काल पूरा करने का अनुरोध किया जाएगा। सम्मेलन के उद्घाटन के दौरान खुद पीएम इस आशय का अनुरोध राज्यों से करेंगे। सरकार की योजना नए श्रम कानूनों को हर हाल में इसी साल लागू करने की है।