संविधान दिवस : लोकतंत्र के गौरव का दिवस

डॉ. लालजी
सहायक निदेशक, सीबीसी, भारत सरकार, वाराणसी

दुनिया का सबसे बड़ा लोकतान्त्रिक देश, भारत राज्‍यों का एक संघ है जो संसदीय प्रणाली की सरकार वाला एक स्‍वतंत्र प्रभुसत्ता सम्‍पन्‍न समाजवादी लोकतंत्रात्‍मक गणराज्‍य है। 15 अगस्त 1947 को भारत को ब्रिटिश उपनिवेशवाद से मुक्ति मिली और एक नए युग की शुरूआत हुई । 15 अगस्‍त 1947 वह भाग्‍यशाली दिन था जब भारत को ब्रिटिश उपनिवेशवाद से स्‍वतंत्र घोषित किया गया और सत्ता नियंत्रण की बागडोर देश के नेताओं को सौंप दी गई।
75 वर्ष पूर्व 26 नवंबर 1949 को देश का गौरव शाली  पवित्र  ग्रंथ संविधान  को  अंगीकृत किया गया  और 26 जनवरी 1950 को भारत एक गण तंत्र के रूप में घोषित हुआ l संविधान सभा के विद्वान् सदस्यों के कठोर परिश्रम से तैयार संविधान की उद्देशिका के प्रथम वाक्य हम भारत के लोग  से शुरू शब्द में  समग्र राष्ट्र के कल्याण का दर्शन समाहित है l

संविधान सभा ने हम, भारत के लोग,भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न समाजवादी पंथनिरपेक्ष,लोकतंत्रात्मक गणराज्य, बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों कोःसामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय, विचार,अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता,प्रतिष्ठा और अवसर की समानता, प्राप्त कराने के लिए,तथा उन सब में, व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखण्डता,सुनिश्चित करने वाली बन्धुता बढ़ाने के लिए दृढसंकल्प होकर संविधान सभा में तारीख 26 नवम्बर 1949 ई. (मिति मार्गशीर्ष शुक्ल सप्तमी, संवत दो हजार छह विक्रमी) को एतद्द्वारा इस संविधान कोअंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित किया,यही संविधान 26 जनवरी 1950 से देश में लागू हुआ और भारत एक गण राज्य बना l गणतंत्र दो शब्दों से मिलकर बना है गण का मतलब जनता और तंत्र का मतलब है प्रणाली, गणतंत्र में सरकार की शक्ति जनता से आती है और कानून चुने हुए प्रतिनिधि बनाते हैं l हमारे गणतंत्र की यही खूबी है कि लोकतान्त्रिक तरीके से आम जनता में से  कोई भी व्यक्ति देश का सर्वोच्च पद संभाल सकता है l वर्तमान राष्टपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी इसके एक सशक्त उदाहरण हैं दोनों लोगों की सामाजिक एवं पारिवारिक पृष्ठ भूमि सामान्य परिवार की है पूर्व राष्ट्रपति डॉ अब्दुल कलाम, भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर सहित अनेक लोग उच्च पद को सुशोभित कर चुके हैं l
26 नवंबर के ऐतिहासिक दिन को संविधान दिवस के रूप में मनाने के लिए नरेंद्र मोदी की सरकार नें 2015 से  संविधान की शक्ति और उसके महत्व को  जन -जन  को परिचित कराने के लिए  राष्ट्रीय स्तर पर  संविधान दिवस मनाने का ऐतिहासिक निर्णय लिया  ताकि इस दिवस को जन उत्साह के रूप में मनाया जा सके और हर  नागरिक के मन में संविधान के आदर्शो के प्रति जागरूकता  पैदा हो  सके l

इस वर्ष 26 नवंबर 2024 को संविधान को अंगीकार करने  का 75   वर्ष पूर्ण हो रहे हैं और देश 10वाँ संविधान दिवस  मना रहा है l संविधान दिवस के अवसर पर देश भर में  स्कूलों, कालेजों,         विश्वविद्यालयों, सरकारी गैर सरकारी संस्थानों में जन जागरूकता के विविध कार्यक्रम, चित्र प्रदर्शनियाँ,  गोष्ठी, भाषण, प्रश्नोत्तरी प्रतियोगितायें आयोजित की जाती है  और संविधान में प्रदत्त जनता के मौलिक अधिकारों और मौलिक कर्तव्यों  में समन्वय के लिए प्रेरित किया जाता है l
संविधान की प्रस्तावना इसकी आधारशिला है। इसका एकमात्र लक्ष्य सामाजिक कल्‍याण को बढ़ाना है। संविधान की संरचना न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व पर टिकी है।
हम सभी जानते हैं कि  प्रत्येक भारतीय के अधिकारों की रक्षा, समानता और गरिमा बनाये रखने, सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय , विचार अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता  राष्ट्रीय एकता और अखंडता को सुनिश्चित करने के लिये  हमारे देश के महान विद्वान राजनेता, स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षाविद, सामाजिक कार्यकर्त्ता और कानूनविदों  नें 60 से अधिक देशों के संविधान का अध्ययन  किया और  एक एक अनुच्छेद पर  बारीकी से चर्चा हुई, तर्क आये तथ्य आये, विचार आये, आस्था की चर्चा हुई, संकल्पों की चर्चा हुई और दो हजार से अधिक संसोधन और लंबी चर्चा के बाद 2 वर्ष 11 महीना 18 दिन में संविधान सभा के 389 सदस्यों जिनमें 15 महिलाएं भी शामिल थीं जिन्होंने ने भारत के हर कोने  के लोगों और सभी धर्मों -वर्गो के  सपने को शब्दों में मढ़ कर एक जीवंत और संवेदनशील संविधान का प्रारूप देशवासियों के समक्ष  प्रस्तुत किया, जिसे 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा अंगीकार किया और 26 जनवरी 1950 से  लागू हुआ l भारत एक गणराज्य बना l
संविधान के शिल्पकार डॉ बी आर अम्बेडकर नें एक ऐसा संविधान दिया जो देशवासियों   के  लिए आशा  की किरण और पथ प्रदर्शक बन गया l यह संविधान विकास, सौहार्द, अवसर, जन-भागीदारी, और समानता  का प्रतीक बन गया l
डॉ, राजेंद्र प्रसाद, डॉ बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर, सरदार            वल्लभ भाई पटेल, पंडित जवाहर लाल नेहरू ,मौलाना अब्दुल कलाम आज़ाद, पुरुषोत्तम दास टंडन, सुचेता कृपलानी,अय्यर एन गोपाला स्वामी, हंसा मेहता, एल डी कृष्णस्वामी  और जॉन मथाई जैसे अनगिनत महापुरुषों ने प्रतक्ष्य अप्रतक्ष्य योगदान कर  महान विरासत को  देश वासियो को सुपुर्द किया

हमारा संविधान जितना जीवंत है, उतना संवेदनशील भी है इसी लिए यह वैश्विक लोकतंत्र की सर्वोत्कृष्ट उपलब्धि है l संविधान देश के मौलिक कानून के रूप में हमारे मूल्यों, सिद्धांतों और शासन के ढांचे का प्रतीक है। यह भारत की सर्वोच्च विधि के रूप में भूमिका निभाता है, तथा राज्यों के काम-काज का भी मार्गदर्शन करता है। भारतीय संविधान के द्वारा नागरिकों के अधिकारों और जिम्मेदारियों को भी सुनिश्चित किया जाता है।
बाबा साहब एक कानून विद, अर्थशास्त्री, राजनेता के साथ एक मनोवैज्ञानिक भी थे उनके द्वारा जो कानून बनाया गया वह मानव  मन को  मानसिक संतुष्टि प्रदान करता है  उन्होंने समानता का अवसर प्रदान कर  जाति, धर्म, लिंग , समुदाय के आधार पर होने वाले  असमानता को खत्म कर दिया,  l
हमारा संविधान न केवल मानव के अधिकरों को संरक्षण प्रदान करता है बल्कि भारत की धरा पर रहने वाले हर जीव -जंन्तु, जल, वायु,जंगल, नदी, पर्वत सहित सभी प्राकृतिक सम्पदाओं को संरक्षित करने का प्रावधान करता है l
संविधान ने  हमें   अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता  दी,सभी धर्म  के अनुयायियों को अपने -अपने धर्म को मनाने की आजादी दी,
मताधिकार,  संस्कृति और शिक्षा का अधिकार,शोषण के विरुद्ध अधिकार, संवैधानिक उपचारों का अधिकार  प्रदान किया है l भारत के संविधान की  खास विशेषता इसका लचीला पन है,समय काल और आवश्यकता अनुसार  संविधान  संशोधन  का प्रावधान है, l सर्वोच्च न्यायालय संविधान का संरक्षक है संसद द्वारा  पारित किये गये संविधान संसोधन की समीक्षा का  अधिकार  सर्वोच्च न्यायालय के संविधान पीठ  के पास  निहित है l इसी लचीला पन का  परिणाम है कि पंचायती राज अधिनियम, शिक्षा का अधिकारी अधिनियम और  सूचना का अधिकार अधिनियम  और संसद और विधानसभाओं  में l महिलाओ के  प्रतिनिधित्व के लिए नारी शक्ति वंदन अधिनियम   पारित हुए l
हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि जहाँ हमें मौलिक अधिकार मिला है वहीं  हमारे लिए कुछ मौलिक कर्तव्य भी निर्धारित किये गये  हैं प्रत्येक  नागरिक का कर्तव्य है की वह  मौलिक कर्तव्यों का भी निर्वहन करें  तभी  देश को आज़ादी दिलाने वाले देश के महान  स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का  सपना साकार होगा l
अपने कर्तव्यों के निर्वहन में संविधान  वर्णित नियमों का पालन करें और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्रध्वज एवं राष्ट्रीय गान का आदर करें।
स्वतंत्रता के लिये राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों को हृदय में संजोये रखें और उनका पालन करें।
भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करें तथा उसे अक्षुण्ण रखें l देश की रक्षा करें और आह्वान किये जाने पर राष्ट्र की सेवा करें। भारत के सभी लोगों में समरसता और समान भातृत्व की भावना का निर्माण करें जो धर्म, भाषा व प्रदेश या वर्ग आधारित सभी प्रकार के भेदभाव से परे हो, ऐसी प्रथाओं का त्याग करें जो स्त्रियों के सम्मान के विरुद्ध हों l
देश की संवृद्ध शाली संस्कृति की गौरवशाली परंपरा का महत्त्व समझें और उसका परिरक्षण करें।  प्राकृतिक पर्यावरण जिसके अंतर्गत वन, झील, नदी और वन्यजीव आते हैं, की रक्षा और संवर्द्धन करें तथा प्राणीमात्र के लिये दया भाव रखें।  वैज्ञानिक दृष्टिकोण से मानववाद और ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करें। सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखें और हिंसा से दूर रहें। व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कर्ष की ओर बढ़ने का सतत् प्रयास करें जिससे राष्ट्र प्रगति की और निरंतर बढ़ते हुए उपलब्धि की नई ऊँचाइयों को प्राप्त किया जा सके।
संविधान  लोकतंत्र को संचालित करने की एक स्वीकृत और लिखित दस्तावेज है l लोकतंत्र के चार  स्तंभ हैं विधायिका लोकतंत्र  का एक ऐसा स्तंभ है जो  देश की जनता  की  आकांक्षाओं और आवश्कता के अनुसार कानून बनाती है l  जिसमें भारत की संसद, लोक सभा और राज्य सभा  तथा राज्यों  के विधान मंडल  शामिल हैं
दूसरा स्तम्भ कार्यपालिका है  जो विधायिका द्वारा बनाये गये, नियमऔर कानून को लागू कर  देश को प्रगति और विकास की ओर ले जाने का काम दायित्व का निर्वहन करता है l
न्यायपालिका  लोकतंत्र  का मजबूत और स्वतंत्र  स्तंभ है, सर्वोच्च न्यायिक प्राधिकरण के रूप में कार्य करते हुए भारत का सर्वोच्च न्यायालय न्याय और समानता का संरक्षक है,संविधान की व्याख्या करने और यह सुनिश्चित करने का महत्वपूर्ण कार्य न्याय पालिका  पर है l  मीडिया चौथे स्तंभ के रूप में  सरकार की नीतियों, कार्यक्रमों, योजनाओं को जनता तक पहुँचता और जनता की  मांग और उसकी से सरकार को आगाह करता है इससे  विधायिका और कार्यपालिका  को अपनी नीति को मूल्यांकन करने का अवसर  मिलता, वहीं न्यायपालिका कभी कभी मिडिया की खबरों को स्वतः संज्ञान लेकर उसकी समीक्षा करती है
बाबा साहब द्वारा रचित संविधान सदैव प्रासंगिक रहेगा संविधान की एक -एक विशेषता और महत्व तथा उपयोगिता को जन -जन तक पहुंचाने की आवश्यकता है
प्रधानमंत्री  श्री नरेंद्र मोदी के संकल्प से वर्ष 2015 से प्रत्येक वर्ष 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाने की ऐतिहासिक शुरुआत हुई है इस वर्ष  26 नवंबर 2024 को संबिधान  दिवस का 10वाँ वर्ष है l  इस दिवस से संविधान की मूल भावना जन -जन तक पहुंच रही है यह स्वतंत्रता   के मकसद को पूरा करने का महान  यज्ञ के समान है l
सभी देश वासियो से अपील है कि संविधान की भावना का सम्मान करते हुए  अपने मौलिक कर्तव्यों का निर्वहन कर देश को विकसित भारत की ओर अग्रसर करें l

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