संतों की पाकिस्तान को चेतावनी, पीओके लेकर रहेंगे अब सिंध और बलूचिस्तान बचाए पाक

प्रयागराज। विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) के संत सम्मेलन में धर्माचार्यों ने पाकिस्तान को चेतावनी देते हुए कहा कि भारत पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) लेकर रहेगा। संतों ने यह भी कहा कि पाकिस्तान अब सिंध और बलूचिस्तान की चिंता करे।

माघ मेला स्थित विहिप के शिविर में मंगलवार को आयोजित संत सम्मेलन में धर्माचार्यों ने अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण के अलावा अखण्ड भारत के निर्माण का भी संकल्प लिया।

संत सम्मेलन को संबोधित करते हुए ज्योतिषपीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने कहा कि देश को दो हिस्सों में बांटने वाले लोगों को जान लेना चाहिए कि अब वर्ष 1947 का समय नहीं है। वह समय बीत चुका है अब वर्ष 2020 आ चुका है। देश के सैनिक मुस्तैदी से तैनात हैं।

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान का गीत गाने वाले लोग अपने कुलगोत्र का पता कर लें और घर वापस लौट आएं। नहीं तो वे भी पाकिस्तान चले जाएं। शंकराचार्य ने कहा कि देश में अब नागरिकता कानून लागू हो चुका है। वह अब नहीं बदलेगा। उन्होंने कहा कि देश के कानून का सम्मान न करने वाले लोग राष्ट्रभक्त नहीं हो सकते। उसे मानना ही होगा।

स्वामी वासुदेवानंद ने नागरिकता कानून पर राजनीति करने वालों को भी निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर देश की जनता को गुमराह न किया जाये। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म सभी धर्मो का सम्मान करता है। सदैव सर्वे भवन्तु सुखिनः की कामना करता है।

सम्मेलन में अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की जिम्मेदारी श्रीराम जन्मभूमि न्यास को सौंपने, विहिप के मॉडल पर ही मंदिर निर्माण की मांग जोर-शोर से उठी। संतों ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के बारे में जनजागरुकता अभियान चलाने की बात की। संतों ने एक स्वर से सीएए को देशहित में बताया और कहा कि जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं वे देशद्रोही हैं। संतों ने इस मौके पर जनसंख्या नियंत्रण, धर्मांतरण और परिवार संस्कार पर भी चर्चा की।

पूर्व में विहिप के कार्यवाहक अध्यक्ष आलोक कुमार ने सम्मेलन की प्रस्तावना प्रस्तुत की। साथ ही सोमवार को विहिप के केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल में पारित प्रस्तावों को भी रखा।

संत सम्मेलन की अध्यक्षता राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास ने की। सम्मेलन में उपस्थित प्रमुख संतों में महामंडलेश्वर अखिलेश्वरानंद, हरिहरानंद, विवेकानंद, ब्रह्मानंद आश्रय, योगीराज दिव्यानंद, श्याम दास, विश्वेश प्रपन्नाचार्य, घनश्यामाचार्य, किन्नर अखाड़ा के डॉ. लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी, जितेंद्रानंद, मौनी बाबा, मदन गोपाल दास और रामनुजाचार्य रहे। सम्मेलन का संचालन विहिप के केंद्रीय उपाध्यक्ष जीवेश्वर मिश्र ने किया।

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