श्री कृष्ण भावनामृत में संलिप्तता मनुष्य को सदाचारी एवं संस्कारी बनाती है-व्यास लक्ष्मी नारायण

नारीबारी मे भगवान के जन्म प्रसंग हुआ तो श्रद्धालु झूमने लगे
नारीबारी (प्रयागराज)। श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन नारीबारी मे कथा व्यास पं. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने कहा श्री कृष्ण भावनामृत में संलिप्तता मनुष्य को सदाचारी एवं संस्कारी बनाती है। भगवान श्रीकृष्ण ने भक्तों की रक्षा और धर्म की स्थापना के लिए ही जन्म लिया। उन्होंने कहा किसी भी प्रकार से यह भौतिक जगत हमारा घर नहीं है। हमें सब को सद्कर्मों द्धारा भगवत-भजन संध्योपासना धर्म-कर्म आदि के माध्यम से भगवत प्रेमी भगवान से मिलना है। यही मानव जीवन का लक्ष्य और उद्देश्य है। उन्हीं की भक्ति कर हम मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं। भगवान के जन्म प्रसंग हुआ तो श्रद्धालु झूमने लगे। बधाईयों संग सभी ने नृत्य के साथ फूलों की वर्षा कर भगवान के आगमन का स्वागत एवं बधाईयां देकर भक्तो ने भागवत् कथा की आरती कर लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया। मुख्य यजमान प्रभावती देवी,राजमणि विश्वकर्मा रहे। आचार्य पं.अशोक त्रिपाठी के साथ भागवत कथा श्रोताओं मे सुरेन्द्र  शुक्ला, अनिल विश्वकर्मा, दिलीप कुमार चतुर्वेदी, सूर्य भान सिंह, पृथ्वीराज साहू,मनीष त्रिपाठी,बबलू विश्वकर्मा,कामता प्रसाद मिश्र, नागेश्वर शुक्ला, बड़े लाल विश्वकर्मा, लालमणि विश्वकर्मा,प्यारे मोहन शुक्ल, सूर्यकांत शुक्ल,भाई लाल विश्वकर्मा आदि के साथ भारी संख्या में नर-नारी भक्तगणों की उपस्थिति रही।

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