शुआट्स वैज्ञानिकों ने दी किसानों को सलाह

नैनी, प्रयागराज। सैम हिग्गिनबाॅटम कृषि, प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान विश्वविद्यालय (शुआट्स) में चल रहे ग्रामीण कृषि मौसम सेवान्तर्गत भारत सरकार से प्राप्त पूर्वानुमान के अनुसार वैज्ञानिकों ने सलाह दी है कि धान में जीवाणु झुलसा रोग , जिसमें पत्तियों के नोक व किनारे सूखने लगते हैं , की रोकथाम के लिए पानी निकालकर एग्रीमाइसीन 75 ग्राम या स्ट्रेप्टोसाइक्लीन 15 ग्राम व 500 ग्राम कापर आक्सीक्लोराइड का 500 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें । राई सरसो बोआई 45 ग 15 सेमी . पर 3 सेमी . गहरी कूंडों में करे । राई सरसों उर्वरकों का प्रयोग मृदा परीक्षण के आधार पर करें । यदि परिक्षण न हुआ हो तो प्रति हेक्टयर 120 किग्न नाइट्रजन , 60 किग्गा फास्फेट 60 किग्गा पोटाश का प्रयोग कूंडों में करें या अन्तिम जुताई के समय भूमि में मिला दें । गन्ना उर्वरकों का प्रयोग मृदा परीक्षण के आधार पर करें । यदि परिक्षण न हुआ हो तो हेक्टयर 120 किग्गा नाइट्रोजन 60 किग्गा फास्फेट 60 किग्रा पोटाश का प्रयोग कूंडों में करें या अन्तिम जुताई के समय भूमि में मिला दें । F गन्ना के बीज उपचार के बाद ही प्रयोग करें । 250 ग्राम एरीटान या 500 ग्राम एगलाल 100 लीटर पानी में घोलकर उससे 25 कु . गन्ने के टुकडे उपचारित किये जा सकते हैं । फास्फोरस के लिए सिंगल सुपर फास्फेट का प्रयोग करें अन्यथा प्रति हेक्टयर 60 किग्न गन्धक का प्रयोग आवश्यक है । चना की बोआई माह के दूसरे पखवाडे मे करें । पूसा 256 , अवरोधी , राधे , के . 850 तथा ऊसर क्षेत्र में बोआई के लिए करनाल चना -1 अच्छी प्रजातियाँ है । मटर दाने के लिए प्रति हेक्टयर 80-100 किग्रा तथा बौनी किस्मो के लिए 125 किग्न बीज आवश्यक होगा । बरसीस की बोआई माह के प्रथम पखवाडे में प्रति हेक्टयर 25-30 किग्रा बीज दर के साथ 1-2 किग्रा चारे वाली राई मिलाकर करें । ! . नवजात बच्चों को खीस / कोलस्ट्रम अवश्य पिलाएं । . पशुओं को स्वच्छ जल उपलब्ध कराएं । . गर्भपरीक्षण एवं बॉझपन चिकित्सा कराएं तथा गर्म पशुओं को समय से गर्भित कराएं ।

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