नैनी, प्रयागराज। सैम हिग्गिनबॉटम कृषि, प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान विश्वविद्यालय (शुआट्स) में चल रहे ग्रामीण कृषि मौसम सेवान्तर्गत भारत सरकार से प्राप्त पूर्वानुमान के अनुसार वैज्ञानिकों ने कृषकों को सलाह दी है कि सिंचित भूमि के लिए धान की किस्मों एन. डी. आर. 2064, एन.डी. आर. 2065, एन.डी. आर. 359, एन.डी. आर. 3112-1, सरजू 52, एच.यू.आर. 1304 एवं एच.यू.आर. 1304 के 30 किग्रा०/ हे० की दर से बेहन हेतु बीज की व्यवस्था करें। नर्सरी डालने के लिए शोधित बीज का ही प्रयोग करें। यदि बीज पूर्व शोधित न हो तो धान की नर्सरी डालने से पूर्व बीज शोधन सुनिश्चित करें। यदि जीवाणु झुलसा वा जीवाणुधारी रोग की समस्या हो तो 25 किग्रा० बीज के लिए स्टेप्टोमाइसीन सल्फेट 90 प्रतिशत एवं टेट्रासाइक्लिन हाइड्रोक्लोराइड 10 प्रतिशत की 4 ग्राम मात्रा को 100 ली. पानी में मिलाकर रात भर भिगो दें। दूसरे दिन छाया में सुखाकर नर्सरी डालें।
शुआट्स वैज्ञानिकों ने दी किसानों को सलाह
अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए मक्का की देर से पकने वाली संकर किस्मों यथा गंगा-11, सरताज, एच. क्यू, पी.एम.-5. एच.क्यू.पी.एम.-8, प्रो-316 (4640), बायो-9681, वाई-1402, पी.एस.सी.-740, एन.एम.एच.-920, सीडटेक-740, एन.एम.एच.-713 के तथा संकुल किस्म प्रभात आदि के बीज की व्यवस्था कर बुआई करें। यदि बीज शोधित न हो तो बीज बोने से पूर्व, पहले 1 किग्रा० बीज को 2.5 ग्रा. धीरम या 2 ग्राम कार्बोन्डाजिम 50 डब्लू.पी. से शोधित करना चाहिये तथा बाद में बीज को इमिडाक्लोप्रिड 2 ग्रा./ किग्रा. से बीज को शोधित करना चाहिए।
किसान भाई गन्ने में 12-15 दिन के अन्तराल पर सिंचाई अवश्य करें। सिंचाई उपरान्त ओट आने पर नत्रजन की पहली टापड्रेसिंग करके गुड़ाई करें
पशुओं को पर्याप्त मात्रा में साफ पानी पिलायें। दुहान से पहले पशुओं को सुबह शाम ताजे पानी से नहलायें और खरहरा करें जिससे पशुओं में दूध उत्पादन कम न हो।
मछलियों में वृद्धि हेतु पूरक आहार का प्रयोग मछलियों के वजन के 1 से 2 प्रतिशत तक किया जाए। मछलियों को निश्चित समय पर ही भोजन दिया जाए।