नैनी, प्रयागराज। सैम हिग्गिनबाॅटम कृषि, प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान विश्वविद्यालय (शुआट्स) में चल रहे ग्रामीण कृषि मौसम सेवान्तर्गत भारत सरकार से प्राप्त पूर्वानुमान के अनुसार वैज्ञानिकों ने 21 अप्रैल को हल्की वर्षा के आसार जताते हुए कृषकों को सलाह दी है कि उर्द/मूंग की फसल में पीला चित्रवर्ण (मोजैक) रोग दिखाई देते ही प्रभावित पौधे सावधानीपूर्वक उखाड़ कर नष्ट (जला दे/गाड़ दें) कर दें। 5 से 10 पौढ़ मक्खी (सफेद मक्खी) प्रति पौध की दर से दिखाई पड़ने पर आक्सीडेमेटॉन-मिथाइल 25 प्रतिशत ई.सी. या डाइमेथोयेट 30 ई.सी. 1 लीटर प्रति हे. की दर से 600-800 ली. पानी मिलाकर छिड़काव करना चाहिये। मूँग उर्द में पहली सिंचाई बुआई के 30-35 दिन के बाद करें इससे पूर्व सिंचाई करने पर जड़ों में नत्रजन स्थिरीकरण ग्रन्थियो का विकास ठीक से नहीं होता है।
अप्रैल के दूसरे सप्ताह के उपरांत वर्षा की संभावना होने के कारण गेहूँ की कटाई फिजियोलाजिकल मेच्योरिटी (पौधे के पीले एवं बाली के सुनहरे पीले होने) पर करके यथाशीघ्र मड़ाई कर सुरक्षित स्थान पर भण्डारित कर लें। गन्ने की पत्तियों पर अंकुर बेधक एवं चोटी बेधक कीट के अंडे दिखने पर पत्ती को तोड़कर नष्ट कर दें जिससे कीट के आगे की पीढ़ी समाप्त हो जाय।
सब्जियों की फसल में विशेषतया टमाटर, मिर्च में विषाणु रोग का प्रकोप अधिक होता है। इस रोग का प्रसार वाहक कीट सफेद मक्खी/हापर कीट के द्वारा होता है। आम के भुनुगा कीट की रोकथाम हेतु इमिडाक्लोप्रिड 30.5 प्रतिशत एस.सी. 0.3 मि.ली. प्रति लीटर पानी एवं प्रोफेनोफास 50 प्रतिशत ई.सी. 1 मिली०/लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। पशुओं में खुरपका एवं मुंहपका बीमारी (एफ.एम.डी.) एवं पी.पी.आर. बीमारी का टीकाकरण कराया जा रहा है, यह सुविधा पशुचिकित्सालयों पर निःशुल्क उपलब्ध है।