शुआट्स में मखाना एवं सिंघाड़ा की खेती विषयक प्रशिक्षण का शुभारम्भ

प्रयागराज।
प्रसार निदेशालय, सैम हिग्गिनबॉटम कृषि प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान विश्वविद्यालय, प्रयागराज में दिनांक 19-21 मार्च 2025 तक संचालित होने वाले एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजनान्तर्गत जनपद-प्रतापगढ़ के कृषकों का तीन दिवसीय कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया।
उपरोक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह में कृषकों को सम्बोधित करते हुए निदेशक प्रसार डा० प्रवीन चरन ने कृषकों को सिंघाड़ा एवं मखाना की खेती में विविधीकरण अपनाते हुए संरक्षित खेती को बढ़ावा देने की सलाह दी। उन्होंने बताया कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में खाद्य सुरक्षा का मुख्य आधार कृषि के साथ-साथ आनुसांगिक फसलों का वैज्ञानिक उत्पादन एवं उपभोग है। कृषकों को वैज्ञानिक उत्पादन तकनीक की जानकारी प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से प्रदान करना प्रसार निदेशालय के मुख्य उद्देश्यों में सम्मिलित है। जहाँ पर विश्वविद्यालय का ध्येय करो और सीखो है जो न सिर्फ विश्वविद्यालय के छात्रों अपितु प्रशिक्षणार्थी कृषकों को बताई जाती है। इस अवसर पर उन्होंने मखाना एवं सिंघाड़े की खेती एवं उपभोग पर विशेष बल देते हुए कहा कि दैनिक जीवन में मखाने एवं सिंघाड़े के उपयोग से न सिर्फ स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्यायें दूर की जा सकती हैं अपितु इसके उत्पादन के द्वारा कृषक आर्थिक स्तर पर उन्नत हो सकते हैं।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में प्रति कुलपति (प्रशासन) प्रो० (डा०) विश्वरूप मेहरा ने कृषकों को बताया कि यह विश्वविद्यालय विगत शताब्दी से कृषकों की सेवा में कार्यरत है एवं शोध, शिक्षण एवं प्रसार के माध्यम से कृषकों के बीच अपनी एक अलग पहचान स्थापित कर चुका है। यह विश्वविद्यालय भारत ही नहीं एशिया महाद्वीप का सबसे पुराना कृषि संस्थान है जिसमें कृषकों को कृषि की प्रायोगिक शिक्षा प्रदान की जा रही है। इस संस्थान के विश्वविद्यालय के रूप में स्थापित होने के उपरांत उ०प्र० सरकार के सहयोग से कृषकों का कृषि एवं सम्बन्धित क्षेत्रों में प्रशिक्षण का कार्यक्रम प्रसार निदेशालय के माध्यम से निरंतर संचालित किया जा रहा है जिसका क्षेत्र में उत्पादकता एवं कृषक आय में वृद्धि के रूप में प्रदर्शित होना आरम्भ हो चुका है। प्रसार निदेशालय के वैज्ञानिकों के कृषकों हेतु उपयोगी ज्ञान से प्रभावित होकर विन्ध्यांचल एवं प्रयागराज मण्डलों के कृषक इस विश्वविद्यालय में प्रशिक्षण हेतु सदैव तत्पर रहते हैं।
प्रशिक्षण समन्वयक डा० टी. डी. मिश्रा ने कृषकों को सम्बोधित करते हुए बताया कि सिंघाड़े एवं मखाने का उपयोग दैनिक जीवन में प्रायः व्रत के समय में किया जाता है। मखाना एवं सिंघाड़े के प्रयोग से महिलाओं एवं बच्चों में कुपोषण की समस्या को प्रभावी रूप से दूर किया जा सकता है। इसके प्रयोग से फाइवर की कमी को पूर्णतः दूर किया जा सकता है। इसके प्रयोग से महिलाओं, बच्चों एवं वृद्धों को प्रचुर मात्रा में पोषक तत्वों की प्राप्ति हो जाती है। इस अवसर पर उन्होनें सिंघाड़ा और मखाने के प्रसंस्कृत उत्पादों को घरेलू एवं व्यवसायिक स्तर पर तैयार करने की तकनीकी जानकारी प्रदान की।
कार्यक्रम में प्रसार निदेशालय के वैज्ञानिक डा० शिशिर कुमार, डा० मनीष कुमार केसरवानी, डा० योगेश चन्द्र श्रीवास्तव, डा० शैलेन्द्र कुमार सिंह, डा० मदन सेन सिंह, वीमेन मोटीवेटर श्रीमती मीना नेथन उपस्थित रहें एवं प्रतिभागी कृषकों का मार्गदर्शन किया ।

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