शुआट्स द्वारा कृषक गोष्ठी एवं बीज वितरण कार्यक्रम का आयोजन

उन्नत खेती एवं धान की नर्सरी के प्रबन्धन से लाभ प्राप्त करे किसान : डा प्रवीन चरण
प्रयागराज। ग्राम मझियार, विकासखण्ड-लालगंज, जनपद-मिर्जापुर में एक कृषक गोष्ठी एवं बीज वितरण कार्यक्रम का आयोजन प्रसार निदेशालय, शुआट्स, प्रयागराज द्वारा किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे निदेशक प्रसार डा० प्रवीन चरण ने खरीफ फसलों की उन्नत उत्पादन तकनीक पर विस्तारपूर्वक जानकारी दी साथ ही उन्नत खेती एवं धान की नर्सरी के प्रबन्धन के बारे में किसानों को बताया तथा विश्वविद्यालय द्वारा विकसित धान की प्रजातियाँ शियाट्स धान-3 (इसकी परिपक्वता 128 दिन, उत्पादन क्षमता 60-65 कु० प्रति हे० है तथा यह भूरा फुदका एवं जीवाणु झुलसा अवरोधी किस्म है एवं समय से तथा देर से बुवाई हेतु उपयुक्त है) का बीज किसानों को निःशुल्क वितरित किया ।
वैज्ञानिक डा० सरवेन्द्र कुमार ने खरीफ फसलों के उत्पादन एवं प्रबन्धन पर चर्चा करते हुए बताया कि बीमारियों से बचाने के लिए बीज को शोधित करके बुवाई करें । धान की मध्यम व देर से पकने वाली प्रजातियों की रोपाई जुलाई माह के प्रथम पखवारे में तथा शीघ्र तैयार होने वाली प्रजातियों की रोपाई जुलाई माह के दूसरे पखवारे में अवश्य कर लें। धान की रोपाई हेतु 20-25 दिन पुरानी पौध उपयुक्त होती है। उर्वरकों का प्रयोग मृदा परीक्षण के आधार पर ही करें। यदि मृदा परीक्षण परिणाम प्राप्त न हो तो प्रति हैक्टर की दर से 40 किग्रा० फास्फोरस, 30 किग्रा० पोटाश व 40 किग्रा नत्रजन प्रति हे० की दर से दें तथा रोपाई के 8-10 दिन पर नत्रजन 40 किग्रा० प्रति हैक्टर की दर से टॉपड्रेसिंग करें। वैज्ञानिक डा० मुकेश पी. मसीह ने खरीफ में फलों और सब्जी की खेती पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने कहा कि यह समय कदूवर्गीय सब्जियों की खेती के लिए उपयुक्त है। साथ ही कदूवर्गीय सब्जियों की बुवाई यदि पहले की जा चुकी है तो बुवाई के 25-30 दिन बाद निकाई-गुड़ाई करें तथा यूरिया की टापड्रेसिंग भी कर दें इससे पौधों की अच्छी बढ़वार होती है। जल निकास का प्रबन्ध अवश्य करना चाहिए। बरसात के मौसम में यदि जल जमाव होता है तो उत्पादन प्रभावित होता है। उन्होंने किसानों को समूह बनाकर क्लस्टर में खेती करने पर जोर दिया, जिससे किसानों को अपनी उपज का उचित मूल्य मिल सके । कार्यक्रम में श्री अनुभव दूबे, एफपीओ माटी ग्राम फार्मस प्रोड्यूसर क० लि० के निदेशक, राम बहादुर पाल तथा अन्य किसान उपस्थित रहे ।

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