शिक्षा से पहले संस्कार, व्यापार से पहले व्यवहार सिखाने की जरूरत : देवव्रत

नवाबगंज। माता पिता अपने बच्चों को शिक्षा से पहले संस्कार और व्यापार से पहले व्यवहार सिखाने चाहिए। जीवन में तभी सफलता मिलेगी। बच्चों को चाहिए कि श्रृंगार करना है तो संस्कार का श्रृंगार करें। उक्त बातें अटरामपुर स्टेशन के पास झोखरी गांव में चल रही संगीतमय भागवत कथा के छठवें दिन कथाव्यास देवव्रत जी महाराज ने कही। कथावाचक ने अक्रूरजी को यमुना नदी के जल में भगवान द्वारा दर्शन कराने की लीला, गोपी गीत, मां रुकमणी और भगवान श्रीकृष्ण के विवाह की चर्चा का विस्तार से वर्णन करते हुए कहा कि रुकमणी और श्रीकृष्ण का विवाह जीव और ईश्वर का मिलन समारोह है। मुख्य यजमान पंडित देवनारायण मिश्र आरती उतारकर आशीर्वाद लिया। भागवत कथा में आचार्य सूर्य नारायण पांडेय, पंकज द्विवेदी, शाश्वत पांडेय और संगीत की भूमिका में हारमोनियम गायन पर सुरेश द्विवेदी, वेदांश पांडेय, बेंजों पर राज कलम, तबला वादक प्रकाश और पैड पर योगेश राजपुरोहित अपनी कला से उपस्थित लोगों को आकर्षित करने का काम कर रहे हैं।

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