जापान के पूर्व पीएम शिंजो आबे के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गहरा दुख व्यक्त करते हुए अपने मित्र को याद किया है। उन्होंने आबे का स्मरण करते हुए कहा कि भारत से उनका गहरा रिश्ता था। इसके अलावा पीएम मोदी की वेबसाइट पर भी दोनों नेताओं के रिश्तों का जिक्र करते हुए आबे को याद किया गया है। पूर्व जापानी पीएम शिंजो आबे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच एक खास रिश्ता था और वर्षों से दोनों से एक दूसरे के दोस्त थे। 2007 में जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में शिंजो आबे से पहली बार जापान यात्रा के दौरान मिले थे, तब वह जापान के पीएम थे। तब विशेष स्वागत करते हुए शिंजो आबे ने पीएम मोदी की मेजबानी की थी और विकास के कई पहलुओं पर उनके साथ चर्चा की थी। तब से दोनों नेता कई मौकों पर एक-दूसरे से मिल चुके हैं, जिसने न केवल दोनों देशों के बीच संबंध मजबूत हुए बल्कि उनके बीच एक चिरस्थायी बंधन भी विकसित हुआ। 2012 में मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में जापान की चार दिवसीय यात्रा की। इस यात्रा के दौरान भीमोदी ने शिंजो आबे से मुलाकात की, तब वो उस समय विपक्ष के नेता थे। दोनों नेताओं के बीच यह संवाद लगातार जारी रहा और दोनों देशों के बीच संबंध गहरे हुए, जब 2014 में मोदी ने भारत के प्रधानमंत्री के रूप में पहली बार जापान में क्योटो का दौरा किया। भारत-जापान संबंधों की जीवंतता को प्रदर्शित करते हुए आबे ने पीएम मोदी के लिए रात्रिभोज का आयोजन किया। पीएम आबे ने इस बात पर भी खुशी जताई थी कि पीएम मोदी ने क्योटो की सांस्कृतिक विरासत का आनंद लिया। दोनों नेताओं ने एक साथ क्योटो के तोजी मंदिर के दर्शन किए थे। दोनों नेताओं के बीच मैत्रीपूर्ण समीकरणों के एक और प्रतिबिंब में पीएम आबे ने 2014 में G-20 शिखर सम्मेलन के दौरान ब्रिस्बेन में पीएम मोदी के लिए एक विशेष रात्रिभोज की मेजबानी की। उन्होंने 2014 में जापान की पांच दिवसीय यात्रा के दौरान क्योटो के इंपीरियल गेस्ट हाउस में पीएम मोदी के लिए रात्रिभोज की मेजबानी भी की थी।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 में वाराणसी में प्रतिष्ठित गंगा आरती के लिए पीएम आबे की मेजबानी करके इस गर्मजोशी और फ्रेंडली जेस्चर को आगे बढ़ाया। उन्होंने दशाश्वमेध घाट पर प्रार्थना की और गंगा आरती देखी। एक संगोष्ठी में अपने विचार साझा करते हुए जापानी प्रधानमंत्री ने गंगा आरती समारोह को शानदार बताया था। पीएम आबे ने आगे कहा, ‘मां गांगा नदी के तट पर मैंसंगीत और लय की गति में खो गया। मैं एशिया के दोनों छोरों को जोड़ने वाले इतिहास की अथाह गहराई से चकाचौंध था। प्रधानमंत्री आबे ने स्वीकार किया कि वाराणसी ने उन्हें ‘समासरा’ की याद दिला दी, एक ऐसी शिक्षा जिसे जापानियों ने भी प्राचीन काल से महत्व दिया है। 2016 में जापान की एक और यात्रा के दौरान पीएम मोदी और पीएम आबे ने बुलेट ट्रेन की सवारी की।
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