डायबिटीज़ एक बहुत ही गंभीर समस्या है जिसपर समय रहते कंट्रोल न किया जाए तो ये शरीर के दूसरे अंगों को भी प्रभावित करने लगता है। एक के बाद एक समस्याएं शुरू होने लगती हैं। आंख, किडनी, हार्ट और ब्रेन के साथ और कौन से अंग डायबिटीज़ की वजह से हो सकते हैं प्रभावित, आइए जानते हैं इनके बारे में साथ ही बचाव के उपाय भी।
1. पैरों को कर सकता है प्रभावितडायबिटीज़ में पैरों की नसों में फैट और कैल्शियम जमा होने लगता है, जिससे वे सिकुड़ने लगती हैं और उनकी मेंब्रेन कमज़ोर हो जाती हैं। इससे पैरों में रक्त का प्रवाह सही तरीके से नहीं हो पाता। इसी वजह से डायबिटीज़ के मरीज़ों को पैरों में झनझनाहट, जलन और दर्द जैसे लक्षण नज़र आते हैं। कई लोगों के पैर सुन्न पड़ जाते हैं। इसी तरह एड़ियां फटने और पैरों की त्वचा में रूखापन जैसे लक्षण भी नज़र आते हैं। चूंकि ऐसी समस्या होने पर पैरों की ब्लड वेसेल्स ब्लॉक हो जाती हैं, जिससे उंगलियां काली पड़ जाती हैं और उनमें स्पर्श का अनुभव नहीं होता। ऐसी शारीरिक दशा को डायबिटिक न्यूरोपैथी कहा जाता है। पैरों में चोट लग जाने के बाद भी मरीज़ को दर्द नहीं होता, लेकिन पैरों में ज़ख्म बनते जाता है। ऐसी स्थिति में कई बार पैरों अंगुलियां या संक्रमण बढ़ने पर पूरा पैर ही काटने की नौबत आ जाती है।
कैसे करें बचाव: रोजाना कम से कम 5-6 किलोमीटर पैदल ज़रूर चलें, इससे ब्लड की सप्लाई सही ढंग से होती है। पैरों को हमेशा साफ रखें। उन्हें अच्छी तरह पोंछकर सुखाने के बाद फटने से बचाने के लिए अच्छी क्वॉलिटी की फुट क्रीम लगाएं।
2. इम्यून सिस्टम होने लगती है कमजोर
आपने भी यह नोटिस किया होगा कि चोट लगने, त्वचा के कटने या किसी भी तरह का इन्फेक्शन होने पर सामान्य लोगों की तुलना में डायबिटीज़ के मरीज़ों की हीलिंग देर से होती है। दरअसल ऐसी समस्या होने पर रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली श्वेत रक्त कोशिकाएं सही ढंग से काम नहीं करतीं और उनकी संख्या भी घटने लगती है।
कैसे करें बचाव: इम्युनिटी बढ़ाने के लिए अपनी डाइट में विटमिन सी युक्त खट्टे फलों जैसे-नींबू, आंवला, संतरा आदि को प्रमुखता से शामिल करें, पर्याप्त मात्रा में हरी-सब्जि़यों और दालों का सेवन करें।
3. किडनी खराब होने का खतरा
डायबिटीज़ होने पर ब्लड में बढ़ी हुई शुगर की मात्रा धीरे-धीरे किडनी की बारीक रक्तवाहिका नलियों को नष्ट करने लगती है। जिससे इसकी कार्यक्षमता में गिरावट आने लगती है।कैसे करें बचाव: हालांकि जिन लोगों को लंबे समय से डायबिटीज़ की समस्या होती है, उन्हीं में किडनी खराब होने की आशंका अधिक होती है। अत: इसे सुरक्षित रखने के लिए डायबिटीज़ होने के बाद शुरुआत से ही शुगर लेवल के साथ नियमित रूप से केएफटी यानी किडनी फंक्शन टेस्ट ज़रूर कराएं और ज़रूरत पडऩे पर नेफ्रोलॉजिस्ट से सलाह लें। अगर शुरुआती दौर में ही समस्या की पहचान कर ली जाए तो इसे दवाओं की मदद से नियंत्रित किया जा सकता है। अन्यथा देर होने पर डायलिसिस या किडनी ट्रांस्प्लांट जैसे महंगे उपचार की भी ज़रूरत पड़ सकती है।