प्रयागराज। सैम हिग्गिनबाॅटम कृषि, प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान विश्वविद्यालय में चल रहे ग्रामीण कृषि मौसम सेवान्तर्गत भारत सरकार से प्राप्त पूर्वानुमान के अनुसार वैज्ञानिकों ने कृषकों को सलाह दी है कि गेहूँ की बोआई शीघ्र पूरी कर लें। ध्यान रहे कि बोआई के समय मिट्टी में भरपूर नमी हो। गेहूँ की इस समय बोआई के लिए पी.वी.डब्ल्यू.373,नरेन्द्र गेंहूॅ-2036, यू.पी. 2425 तथा डी.बी.डब्लू-16 प्रजातियाॅ उपयुक्त है। गेहूँ प्रमाणित अथवा अपनी प्रजाति का सत्य और शोधित बीज ही बोंये। यदि बीज शोधित न हो तो बीज को 4 ग्राम ट्राइकोडर्मा प्रति किग्रा.बीज की दर से उपचारित कर बोयें। चना की बोआई के 45 से 60 दिन के बीच पहली सिंचाई कर दें। चना की फिर ओट आने पर गुड़ाई करना काफी फायदेमन्द होगा। मटर के 35-40 दिन पर पहली सिंचाई करें। मसूर की बोआई अभी भी कर सकते हैं, लेकिन प्रति हेक्टयर 55 से 75 किग्रा बीज लगेगा। मसूर कि बोआई के 45 दिन बाद पहली हल्की सिंचाई करें। ध्यान रखें, खेत में पानी खड़ा न रहे। राई बोआई के 55-65 दिन बाद ही दुसरी सिंचाई कर दें। सब्जियों में आवश्यकतानुसार सिंचाई एवं निराई-गुड़ाई करें। लहसुन की फसल में आवश्यकतानुसार निराई-गुड़ाई तथा सिंचाई करें एवं 74 किग्रा यूरिया की प्रथम टाप ड्रेसिंग बोआई के 40 दिन बाद व इतनी ही मात्रा की दूसरी टाप ड्रेंसिग बोआई के 60 दिन बाद कर दें।
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