विलुप्त होती गौरैया को बचाने के लिए राष्ट्रीय मुहिम जरूरी- सरदार पतविंदर सिंह

नैनी प्रयागराज/ घर के आंगन में फुदक फुदक कर चहकती मन को आनंदित करने वाली झरोखों और पेड़ पर घोंसला बनाकर रहने वाली खेतों में झुंड के रूप में उड़कर फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले कीटपतंगों को चट करने वाली गौरैया अब दुर्लभ होती जा रही है युक्त विचार “राष्ट्रीय पक्षी दिवस” के उपलक्ष्य में स्वर्गीय भूपेंद्र सिंह सभागार में आयोजित गोष्ठी में विचार रखते हुए कहींl
उन्होंने आगे कहा कि झूठे स्वार्थ के खातिर इंसानों द्वारा अपनाई गई बेतहाशा कीटनाशक रसायनों का वह शिकार हो गई हैl पर्यावरण,पंछी प्रेमी सरदार पतविंदर सिंह गोरैया की कमी से सूना-आंगन से उदास हूं पर्यावरण और पंछियों के प्रति समाज के लोग जागरूक हो उन्हें फिर से पालने बढ़ाने और लोगों को जागरुक करने मे बढ़-चढ़कर मुहिम का हिस्सा बनेl
संजय श्रीवास्तव (पूर्व कनिष्ठ ब्लाक प्रमुख) ने कहा कि नीति के तौर पर इसे बढ़ावा देने के लिए सरकार को आगे आना होगा तभी पूरे देश में फिर से इनकी चह-चहाहट सुनी जा सकती हैl धर्मगुरुओं,सामाजिक कार्यकर्ताओं को गौरैया हाउस बनवाकर स्वयंसेवकों की सहायता से घर-घर वितरित करना चाहिए और  निवेदन हैं कि इन्हें एकांत में रखें और छतों पर पानी रखें इसके लिए कृतिम घोसले का निर्माण करें वे मिट्टी के सैकड़ों बर्तन बनवाकर भी वितरित कर रहे हैंl
अजीत चौधरी ने विचार रखते हुए कहा कि सरदार पतविंदर सिंह ने सामाजिक कार्यक्रमों,सामाजिक
जागरूकता व पंछियों के लिए जीवन समर्पित कर चुके पंछियों की सेवा और उन्हें बचाने के लिए प्रयत्न शील है यह काम कुछ महीनों,वर्षों और कुछ लोगों से ही संभव नहीं हैं इसे अपनी पूर्णता की अवस्था में पहुंचने में  दशको लगेंगेll
जगदीश यादव ने आगे कहा कि अब इसके दर्शन आंगन और खेत खलिहान में भी दुर्लभ होते जा रहे हैं इनके बिना आंगन और झरोखा सुना हो गया है इनकी चह-चहाहट का मधु स्तर सुनना पुरानी बात हो गई है खेतों में इनके झुंड न होने का खामियाजा कृषक कीटनाशकों पर भारी खर्च उठा कर झेलते हैं पहले यह पंछी झुंड में पहुंचकर कीट पतंगों सुंडी और लाखा को चुटकी में चट कर जाते थे और किसी को भनक तक नहीं होती थी उन के अभाव में किसान धन की बर्बादी और फसलों का नुकसान उठाने को विवश हैl
 श्याम बाबू ने कहां की अब किसानों को भी इस छोटी सी चिरैया की याद और चिंता सताने लगी हैl इसीलिए दुर्लभ होती हुई छोटी सी चिरैया गौरैया को बचाने के लिए “राष्ट्रव्यापी मुहिम” चलाने की आवश्यकता है संगोष्ठी में बड़ी संख्या में साहित्यकार,पर्यावरण प्रेमी, सामाजिक कार्यकर्ता ने विचार रखते हुए उपस्थित रहेl

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