लोकसभा में किसानों के मुद्दे पर मंगलवार को कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों के हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही आरंभ होने के करीब 15 मिनट बाद एक घंटे के लिए स्थगित कर दी गई। सदन की कार्यवाही आरंभ होने के साथ ही द्रमुक के एक सांसद ने अपनी सुरक्षा का मुद्दा उठाया। द्रमुक के कथीर आनंद दुरई मुरगन ने दावा किया कि मंगलवार दोपहर को तमिलनाडु भवन में दो-तीन लोग उनके कमरे में घुस आए और खुद को एक जांच एजेंसी का अधिकारी बताने वाले ये लोग उनसे संसद में विभिन्न मुद्दों पर पार्टी के रुख आदि के बारे में पूछताछ करने लगे।
इस पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि संसद में वही बात की जाए जो प्रामाणिक हो। उन्होंने कहा, ‘‘बिना तथ्यों के आरोप लगाना ठीक नहीं है। आप लिखकर दीजिए, मैं जांच कराऊंगा।’’ इसके बाद पंजाब से कांग्रेस के सदस्य रवनीत सिंह बिट्टू ने दावा किया कि उनके और कांग्रेस के तीन अन्य सदस्यों संतोख चौधरी, जसबीर सिंह गिल और गुरजीत सिंह औजला के साथ सोमवार को संसद भवन के पास पुलिसकर्मियों ने बदसलूकी की। उन्होंने कहा, ‘‘हम किसानों के मुद्दे पर कैंडल मार्च निकालते हुए विजय चौक की ओर जा रहे थे। 10-15 मीटर ही पहुंचें होंगे कि करीब 100 पुलिसकर्मी अचानक से आ गए। उन्हें लगा कि कहीं से किसान आ गए। ये लोग किसानों से कितने डरे हुए हैं, इससे पता चलता है।’’
बिट्टू ने आरोप लगाया कि वे तो विजय चौक पर जाकर मोमबत्ती जलाना चाहते थे लेकिन पुलिस ने चारों सांसदों को बुरी तरह पीटा। उन्होंने खुद को भी चोट लगने का दावा किया। कांग्रेस सांसद ने कहा कि खाकी लोगों को बचाने के लिए होती है और आगे से ऐसा नहीं होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि अगर वास्तव में किसान ही होते तो पुलिस उनके साथ क्या बर्ताव करती, कल्पना की जा सकती है। इस पर अध्यक्ष बिरला ने कहा कि उन्हें बिट्टू और संतोख सिंह चौधरी के पत्र मिले हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे जैसे ही पता लगा मैंने इस मामले की रिपोर्ट मंगाई। इस संदर्भ में पूर्ण जानकारी मंगा रहा हूं। सभी सदस्यों को आश्वस्त करता हूं कि आपकी सुरक्षा की जिम्मेदारी मेरी है। मेरी कोशिश होती है कि हर सदस्य का सम्मान और विश्वास कायम रखूं।’’