लाख आधारित कृषिवानिकी से दोगुना लाभ

प्रयागराज! पारि-पुनर्स्थापन वन अनुसंधान केन्द्र, प्रयागराज द्वारा केन्द्रीय अनुसंधान पौधशाला, पडिला में आज़ादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत “लाख आधारित कृषिवानिकी/वृक्षारोपण मॉडल” विषय पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ केन्द्र प्रमुख डा० संजय सिंह के साथ वरिष्ठ वैज्ञानिकों द्वारा दीप प्रज्वलित करके किया गया। कार्यक्रम के स्वागत भाषण में केन्द्र प्रमुख डा० सिंह ने पूर्वी उत्तर प्रदेश में पारि-पुनर्स्थापन वन अनुसंधान केन्द्र द्वारा लाख की खेती को पुनर्जीवित करने तथा  किसानों को इस क्रम में जोड़ने सम्बन्धी अनुबंध से अवगत कराया, उन्होंने लाख की खेती द्वारा किसानों की आमदनी को दोगुना करने सम्बन्धी राष्ट्र व्यापी प्रयास पर भी चर्चा किया। डा० कुमुद दूबे, वरिष्ठ वैज्ञानिक तथा आयोजन सचिव ने कार्यक्रम की रूपरेखा से अवगत कराते हुए लाख पोषक वृक्षों का किसानों के हित में हस्तक्षेप पर प्रकाश डाला। ग्रीन गोल्ड फार्मर कम्पनी लिमिटेड के क्षेत्र प्रबंधक संजय चौधरी ने लाख पोषक वृक्षों यथा बेर, कुसुम, पलाश आदि पर प्रकाश डालते हुए उनके उत्पादन तथा विपणन पर व्याख्यान प्रस्तुत किया। डा० सिंह ने वैज्ञानिक विधि से लाख उत्पादन प्रक्रिया पर विस्तृत व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए लाख की विभिन्न किस्मों यथा कुसुमी लाख के बारे में भी विस्तृत चर्चा की। केन्द्र की वैज्ञानिक डा० अनुभा श्रीवास्तव ने लाख पोषक वृक्ष फ्लेमेजिया सेमियालाता पर चर्चा करते हुए कहा की एक हेक्टेअर क्षेत्र मे इसके रोपण द्वारा किसान लगभग दो से ढाई लाख रूपए प्रति वर्ष प्राप्त कर सकते हैँ। उन्होंने लाख उत्पाद के विपणन सम्बन्धी केंद्र द्वारा किए गए प्रयासों की भी जानकारी दी। क्षेत्र प्रदर्शन में किसानों को विभिन्न पोषक वृक्षों के मॉडलो एवं रोपण मॉडलो का क्षेत्र भ्रमण कराया गया। कार्यक्रम के अन्त में प्रतिभागियों तथा किसानों से संवाद किया गया जिसमें उन्हें लाख पोषित वृक्षों से सम्बन्धित शांकाओं का निवारण किया गया। कार्यक्रम में प्रशिक्षण प्राप्त करने हेतु लगभग 80 किसान मौजूद थे।

Related posts

Leave a Comment