उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, यूपीपीसीबी के अनुसार, लखनऊ और यूपी के अन्य शहरों में कुल वायु प्रदूषण में 90 प्रतिशत योगदान वाहनों की भीड़ के कारण कार्बन उत्पादन और जर्जर सड़कें हैं। यूपीपीसीबी, लखनऊ के क्षेत्रीय अधिकारी, उमेश चंद्र शुक्ला ने कहा कि यातायात में वाहनों द्वारा उत्पन्न कार्बन के साथ टूटी सड़कों से निकले धूल के कण वातावरण में मौजूद हैं और ये सांस की समस्या वाले लोगों के लिए हानिकारक हो सकते हैं।लखनऊ में फिर से वायु गुणवत्ता सूचकांक बहुत खराब श्रेणी में आ गया है। तालकटोरा क्षेत्र में 302 एक्यूआई दर्ज किया गया है। लखनऊ के अलावा, यूपी का नोएडा 314 एक्यूआई के साथ बहुत खराब श्रेणी में है। अन्य सात शहरों में खराब AQI दर्ज किया गया, जिसमें बागपत में 210, बुलंदशहर में 204, गाजियाबाद में 273, ग्रेटर नोएडा में 276, कानपुर में 274, मेरठ में 270 और वाराणसी में 211 एक्यूआई दर्ज किया गया है।प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा अलग-अलग शहरों के अलग-अलग इलाकों में स्थापित निगरानी स्टेशनों के अनुसार कई शहरों की हवा खराब में नहीं पहुंची है लेकिन वहां की हवा गुणवत्ता ठीक नहीं है। पारे में गिरावट आने से यह बिगड़ सकती है। उमेश शुक्ला के मुताबिक, राज्य के कई शहरों में वायु प्रदूषण ऐसा ही रहेगा और आने वाले दिनों में पारा में गिरावट के कारण और भी खराब हो सकता है। कम तापमान PM2.5 और PM 10 को ऊपर नहीं उड़ने देता। अगर शहरों में सड़कें नहीं बनीं और यातायात नियंत्रित नहीं हुआ तो स्थिति जस की तस बनी रहेगी। कूड़ा जलाने से भी वायु प्रदूषण होता है।
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