उत्तर मध्य रेलवे के जनसंपर्क अधिकारी मनीष कुमार सिंह के खिलाफ कौशांबी वॉइस नाम के पोर्टल पर मनगढ़ंत और फर्जी तथ्यों के आधार पर खबर प्रकाशित करने, ट्विटर पर फर्जी तथ्यों के आधार पर शिकायत और मान-सम्मान को ठेस पहुंचाने की गलत नीयत से सोशल मीडिया पर प्रोपोगंडा अभियान चलाने के मामले में पत्रकार अमरनाथ झा को सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता भूपेंद्र प्रताप सिंह ने 50 लाख रुपए का लीगल नोटिस भेजा है।
जनसंपर्क अधिकारी मनीष कुमार सिंह की तरफ से अधिवक्ता भूपेंद्र प्रताप सिंह ने भेजी गई लीगल नोटिस में कहा है कि पोर्टल पर प्रकाशित की गई खबर और ट्वीट से उनके क्लाइंट जनसंपर्क अधिकारी मनीष कुमार सिंह के मान सम्मान और समाज में उनकी और उनके परिवार को ठेस पहुंची है।
इस मामले में संपर्क करने पर अधिवक्ता बीपी सिंह ने कहा कि मनीष कुमार सिंह उत्तर मध्य रेलवे के जनसंपर्क विभाग में रेलवे सुरक्षा बल से परीक्षा के जरिए पहुंचे हैं। विभागीय परीक्षा उत्तीर्ण कर वह जनसंपर्क अधिकारी के पद पर पदस्थ हैं। रेलवे प्रशासन ने यह पद आगरा से वापस मंगाकर मुख्यालय में स्थापित किया है।
इसके विपरीत पोर्टल की खबर में आरोप लगाया गया है कि मनीष कुमार सिंह जीआरपी सिपाही से जनसंपर्क विभाग में पीआरआई बने और गलत तरीके से पीआरओ बन गए हैं। उनका तबादला आगरा हो गया और वह अफसरों की मिलीभगत व रेलवे विजिलेंस की अनदेखी के कारण प्रयागराज में लंबे समय से डटे हुए हैं। यही नहीं, अधिवक्ता बीपी सिंह का कहना है कि भ्रामक और गलत तथ्यों पर आधारित इस खबर में कहा गया है कि जनसंपर्क कार्यालय में चयनित होने वाली विज्ञापन एजेंसियों में पीआरओ की भूमिका रहती है, जबकि सच्चाई यह है कि विज्ञापन एजेंसियों के चयन के लिए उच्च स्तर से चयन कमेटी का गठन किया जाता है। उच्चाधिकार प्राप्त यह कमेटी ही विज्ञापन एजेंसियों के चयन का काम करती है। पीआरओ का विज्ञापन एजेंसियों के चयन में कोई भूमिका नहीं रहती है।
अधिवक्ता का कहना है कि रिपोर्ट में कई व्यक्तिगत आक्षेप भी लगाए गए हैं जो पूरी तरह से निराधार हैं। ये आरोप जनसंपर्क अधिकारी के मान सम्मान को जानबूझकर ठेस पहुंचाने के इरादे से लगाए गए लगते हैं।
सिविल लाइन में स्थित कॉफी शॉप “सिप चैट” को लेकर भी पत्रकार अमरनाथ झा ने जनसंपर्क अधिकारी पर बिना तथ्यों की पड़ताल किए व्यक्तिगत आरोप लगाए हैं। अधिवक्ता का कहना है कि कॉफी शॉप में मनीष कुमार सिंह की पत्नी का आंशिक निवेश है। खबर में मनगढंत तरीके से कहा गया है कि वह होटल है और यहां रात रुकने, सभी तरह के ऐशोआराम की भी व्यवस्था है, जो की पूरी तरह गलत है। सच्चाई यह है कि कॉफी शॉप कोई होटल नहीं है। न ही यह रातभर खुलता है। यहां रुकने, ठहरने की भी कोई व्यवस्था नहीं है। इस कॉफी शॉप का मालिकाना हक न पीआरओ के पास है और न ही उनकी पत्नी के पास।
लीगल नोटिस में कहा गया है कि बिहार राज्य सरकार बनाम लालकृष्ण आडवाणी केस-2003 में अदालत ने मानहानि के ऐसे मामलों को लेकर साफ दिशा-निर्देश दिए हैं। यह प्रेस परिषद के नियमों और आईटी एक्ट-2000 का भी उलंघन है। मानहानि में क्षतिपूर्ति न करने पर विधिक कार्रवाई शुरू की जाएगी।
जनसंपर्क अधिकारी मनीष कुमार सिंह का कहना है कि आरोपी पत्रकार ने खबर में झूठ और मनगढंत तथ्यों के आधार पर खबर लिखकर सोशल मीडिया का दुरुपयोग करते हुए मनमानी तरीके से उनके मान-सम्मान को ही ठेस नहीं पहुंचाई, बल्कि समाज में उनके परिवार और बच्चों के लिए भी असहज स्थिति खड़ी करने की शरारतपूर्ण कोशिश की है। यही नहीं, आरोपी ने इस करतूत से रेलवे की छवि भी खराब करने की कोशिश की है।