रूस ने शुरू की एस-400 की आपूर्ति, देश के पश्चिमी सीमा पर होंगी तैनात

रूस ने भारत को एस-400 वायु रक्षा प्रणाली की आपूर्ति शुरू कर दी है। भारत ने अक्टूबर, 2018 में अमेरिका की आपत्ति के बावजूद रूस से 35 हजार करोड़ रुपये की लागत से पांच प्रणालियां खरीदने का समझौता किया था। रूस के फेडरल सर्विस फार मिलिट्री- टेक्नीकल कोआपरेशन (एफएसएमटीसी) के निदेशक दिमित्री शुगाएव ने स्पुतनिक न्यूज को बताया, ‘एस-400 वायु रक्षा प्रणाली की भारत को आपूर्ति शुरू हो गई है और यह निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक जारी है। इस साल के अंत तक भारत को पहली प्रणाली मिल जाएगी।’ एफएसएमटीसी रूस सरकार का मुख्य रक्षा निर्यात नियंत्रण संगठन है। बताते हैं कि इस प्रणाली के कुछ कलपुर्जे भारत पहुंचना शुरू हो गए हैं और अभी इसके प्रमुख हिस्सों का आना बाकी है। एस-400 को रूस की सबसे आधुनिक लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों की रक्षा प्रणाली माना जाता है। खास बात यह है कि यह आपूर्ति ऐसे समय शुरू हुई है जब दोनों देश रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की छह दिसंबर को भारत यात्रा की तैयारी कर रहे हैं। यह कोरोना महामारी शुरू होने के बाद पुतिन की पहली विदेश यात्रा होगी।भारतीय रक्षा सूत्रों ने बताया कि एस-400 को सबसे पहले पश्चिमी सीमा के नजदीक तैनात किया जाएगा जहां से पाकिस्तान और चीन के पश्चिमी और उत्तरी सीमा पर खतरों से निपटा जा सके। इसकी तैनाती के बाद वायुसेना पूर्वी सीमा पर ध्यान केंद्रित करना शुरू करेगी। वायुसेना अधिकारियों और कर्मियों को रूस में इस प्रणाली का प्रशिक्षण दिया गया है। यह प्रणाली दुश्मन के विमानों और क्रूज मिसाइलों को 400 किलोमीटर दूर नष्ट करने में सक्षम है।रूस से यह प्रणाली खरीदने के लिए तुर्की पर अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद आशंका जताई जाती रही है कि वाशिंगटन इसी तरह के प्रतिबंध भारत पर भी लगा सकता है। अमेरिका (तत्कालीन ट्रंप प्रशासन) ने समझौता करने से पहले भारत को काटसा (काउंट¨रग अमेरिकाज एडवरसरीज थ्रू सैंशंस एक्ट) के तहत प्रतिबंधों की चेतावनी दी भी थी। लेकिन भारत ने संभावित प्रतिबंधों के डर को दरकिनार कर राष्ट्रीय हितों के मद्देनजर खरीद पर आगे बढ़ने का फैसला किया था। हालांकि बाइडन प्रशासन को अभी भी यह स्पष्ट करना है कि वह काटसा के तहत भारत पर प्रतिबंध लगाएगा अथवा नहीं। हालांकि अमेरिकी विदेश उपमंत्री वेंडी शर्मन ने पिछले महीने भारत यात्रा के दौरान कहा था कि किसी देश द्वारा एस-400 मिसाइलों के इस्तेमाल का फैसला खतरनाक है और यह किसी के सुरक्षा हित में नहीं है। साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई थी कि इस खरीद पर भारत और अमेरिका अपने मतभेदों को सुलझा लेंगे। माना जाता है कि दोनों देश इस मुद्दे पर चर्चा कर रहे हैं।रूस भारत का प्रमुख हथियार और गोला-बारूद का आपूर्तिकर्ता रहा है। माना जाता है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच बैठक के दौरान भारत-रूस रक्षा, व्यापार एवं निवेश और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में कई समझौते करने जा रहे हैं। बैठक में अगले दशक के लिए सैन्य-तकनीकी सहयोग के फ्रेमवर्क का भी नवीनीकरण किया जाना है। दोनों देश रसद सहयोग समझौते के लिए वार्ता के अंतिम चरण में पहुंच गए हैं और इस पर भी जल्द ही हस्ताक्षर किए जाने की संभावना है।

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