रूसी सांसदों ने मंगलवार को शीत युद्ध काल के सुरक्षा सौदे से औपचारिक रूप से बाहर आने के लिए सर्वसम्मति से मतदान किया। मतदान का यह कदम राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा 10 मई को एक मसौदा बिल पेश कर यूरोप में पारंपरिक सशस्त्र बलों की संधि की ”निंदा” करने के एक सप्ताह के भीतर उठाया गया।
इस समझौते पर नवंबर 1990 में हस्ताक्षर किए गए थे, लेकिन दो साल बाद भी इसकी पुष्टि नहीं हो सकी थी। रूस ने सबसे पहले 2015 में इस समझौते से पूरी तरह से बाहर आने की इच्छा जाहिर की थी। बीते फरवरी से मॉस्को के यूक्रेन में सैन्य अभियान के दौरान सैकड़ों हजारों रूसी सैनिकों ने उस देश में प्रवेश किया, जो नाटो सदस्य देशों पोलैंड, स्लोवास्किया, रोमानिया और हंगरी के साथ सीमा साझा करता है।
मंगलवार को पुतिन के नामित दूत ने रूसी संसद में बताया कि नाटो देशों ने मध्य और पूर्वी यूरोप में गठबंधन के विस्तार की अनुमति देकर रूस को संधि बना रहता असंभव कर दिया था। रूसी संसद द्वारा प्रकाशित साप्ताहिक पार्लियामेंट्स्काया गजेटा में सोमवार को उप विदेश मंत्री सर्गेई रयाबकोव ने भी एक साक्षात्कार में संधि को ”रूस के सुरक्षा हितों के विपरीत” बताया था।