कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार को केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि केंद्र सरकार गैरजरूरी बातचीत में उलझाकर किसानों को गुमराह करने की कोशिश कर रही है। राहुल ने ट्वीट किया, सत्याग्रही किसानों को गैरजरूरी बातचीत में उलझाकर गुमराह करने का सरकार का हर प्रयास नाकाम साबित होगा। सरकार के इस इरादे को अन्नदाता समझते हैं। उनकी मांग साफ है-कृषि विरोधी कानूनों की वापसी। इसके अलावा कुछ नहीं।
इस बीच, कांग्रेस ने उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित समिति के चारों सदस्यों को कृषि कानूनों का पक्षधर करार दिया और दावा किया कि इन लोगों की मौजूदगी वाली समिति से किसानों को न्याय नहीं मिल सकता। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने पूछा कि क्या किसी सरकारी वकील ने समिति के सदस्यों की विश्वसनीयता के बारे में कोर्ट को बताया है? उन्होंने यह भी कहा कि 15 जनवरी को किसानों के साथ अगले दौर की बातचीत के दौरान खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वार्ता करनी चाहिए। पत्रकारों से बात करते हुए सुरजेवाला ने कहा कि हमें नहीं मालूम कि प्रधान न्यायाधीश को इन लोगों का नाम किसने दिया है? उनकी पृष्ठभूमि और रुख के बारे में जांच-पड़ताल क्यों नहीं की गई? समिति के चारों सदस्य कृषि कानूनों के समर्थन में हैं और प्रधानमंत्री मोदी के साथ खड़े हैं। ऐसी समिति से हम न्याय की उम्मीद कैसे कर सकते हैं?कांग्रेस प्रवक्ता ने यह आरोप भी लगाया कि समिति के एक सदस्य ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर की थी। उन्होंने पूछा कि एक याचिकाकर्ता को सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति में कैसे शामिल किया जा सकता है? उन्होंने कहा कि इस समिति पर आत्मनिरीक्षण करने की जरूरत है। किसानों को इस समिति से न्याय नहीं मिलेगा।