तीसरी संध्या में पधारे हुए दर्शकों ने समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर की एकरूपता का किया दर्शन
प्रयागराज। भारतीय संस्कृति के समृद्ध बहुआयामी रंगों को कड़ी के रूप में पिरोकर केन्द्र द्वारा 01 से 12 दिसम्बर 2021 तक शिल्प हाट के प्रांगण में आयोजित राष्ट्रीय शिल्प मेले की तीसरी संध्या में पधारे हुए दर्शकों द्वारा समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर की एकरूपता का दर्शन करते हुए गंगा-जमुनी तहजीब से सराबोर सांस्कृतिक संध्या का भी आनंद लिया गया।
शिल्प मेले के आयोजन में एक तरफ जहाँ विभिन्न प्रकार के व्यंजनों की महक वहीं दूसरी ओर महिलाओं को आकर्षित करते हुए विभिन्न प्रकार हस्तनिर्मित देशज परिधान और श्रृंगार सामग्रियों के साथ सुगंन्धित इत्र ने मेले की शोभा को भव्यता प्रदान की। इसके साथ ही मौसम के मिजाज को देखते हुए कश्मीरी शॉल तथा जयपुरी रजाई के विक्रय को बढ़ावा मिला है। टेराकोट तथा लकड़ी के खिलौने व गृह शोभा की सामग्रियों ने लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया।
सायंकालीन सांस्कृतिक संध्या की लड़ी में प्रयागराज के बहुचर्चित युवा गायक विष्णु राजा ने अपनी मीठी आवाज में भजनों की माला से कार्यक्रम को गति दी ‘‘चलो रे मन श्री वृन्दावन धाम’’ भजन ने दर्शकों को कृष्णमयी धारा में प्रवाहित किया वहीं लोकगीत ‘‘हे री सखी मंगल गाओ री’’ को भी दर्शकों ने खूब सराहा। इसी क्रम में त्रिपुरा के कलाकारों द्वारा गीतों पर अपने पारंपरिक परिधानों से सुसज्जित होकर ढोल और बांसुरी की मधुर तान पर खूबसूरत नृत्य की प्रस्तुति की गयी साथ ही ब्रज धाम के कलाकारों द्वारा राधा-कृष्ण के अनेक प्रसंगों को जोड़ते हुए फूलो की होली के माध्यम से पूरे वातावरण को आल्हादित कर दिया, वहीं हरे-भरे हरियाणा की माटी की सोंधी महक को अजय कश्यप व उनके साथी कलाकारों ने हरियाणवी लोकनृत्य के माध्यम से दर्शकों तक पहुँचाया। सागर मध्य प्रदेश के ९० वर्षीय श्री राम सहाय पाण्डेय ने राई नृत्य के माध्यम से बुन्देलखण्ड की श्रृंगार प्रधानता का प्रदर्शन किया तथा मध्य प्रदेश के छिन्दवाड़ा से पधारे विजय कुमार बन्देवार और उनके साथी कलाकारों द्वारा गौंड जनजाति के पारम्परिक नृत्यों को, जो कि शादी-विवाह के अवसर पर स्त्री-पुरूषों के द्वारा बड़े उल्लास से ढोल की थाप पर शैला नृत्य के अन्तर्गत प्रस्तुत करते हैं।
कार्यक्रम में केन्द्र निदेशक द्वारा भारतीय संस्कृति एवं शिल्प कला के विभिन्न आयामों पर प्रकाश डालते हुए अपनी सांस्कृतिक धरोहर के विभिन्न पहलुओं से दर्शकों और श्रोताओं को परिचित कराया तथा केन्द्र परिवार की ओर से सभी का आभार व्यक्त करते हुए १२ दिवसीय राष्ट्रीय शिल्प मेले में पुनः आगमन के लिए आमंत्रित भी किया।