राष्ट्रीय शिक्षा नीति से होगा भारत का विकास – युगल किशोर मिश्र

ज्वाला देवी सरस्वती विद्या मन्दिर इण्टर काॅलेज सिविल लाइन्स में आयोजित दस दिवसीय नवचयनित आचार्य प्रशिक्षण वर्ग के आठवें दिन का प्रारभ्म वन्दना सत्र से हुआ जिसमें मुख्य वक्ता के रुप में  ज्वाला देवी गंगापुरी के प्रधानाचार्य  युगल किशोर मिश्र जी उपस्थित रहें। वन्दना सत्र के पश्चात् ’’राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का परिचय ’’ विषय पर  युगल किशोर मिश्र जी का पाथेय नवचयनित आचार्य आचार्यों को प्राप्त हुआ। जिसमें उन्होने सभी को सम्बोधित करते हुये कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली में बदलाव लाने के लिए 34 वर्षों के अंतराल के बादय जुलाई 2020 में हमारी केन्द्रीय सरकार द्वारा एक नई शिक्षा नीति को मंजूरी दी गई। नई शिक्षा नीति का उद्देश्य छात्रों की सोच और रचनात्मक क्षमता को बढ़ाकर सीखने की प्रक्रिया को और अधिक कुशल बनाना। नई शिक्षा नीति में स्कूल स्तर के साथ-साथ उच्च शिक्षा में कई बदलाव शामिल हैं। 29 जुलाई 2020 को कस्तूरी रंगन की अध्यक्षता में नई शिक्षा नीति बनाई गई। यह शिक्षा के क्षेत्र में सरकार द्वारा की गई उत्कृष्ट पहल है। वर्ष 2030 तक इस नीति को पूर्ण रूप से लागू करने की आशा है। उचित बुनियादी शिक्षा प्राप्त करना भारतीय संविधान के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति का जन्मसिद्ध अधिकार है। नई शिक्षा नीति सीखने के लिए पुस्तकों का बोझ बढ़ाने के बजाय व्यावहारिक शिक्षा को बढ़ाने पर ज्यादा केंद्रित है। छात्रों को पाठ्यक्रम के विषयों के साथ-साथ सीखने की इच्छा रखने वाले पाठ्यक्रम का चयन करने की भी स्वतंत्रता होगी, इस तरह से कौशल विकास को भी बढ़ावा मिलेगा।यह 10़2 सिस्टम को 5़3़3़4 संरचना के साथ बदल देता है, जिसमें 12 साल की स्कूली शिक्षा और 3 साल की प्री-स्कूलिंग होती है। नई शिक्षा निति का मुख्य उद्देश्य एक बच्चे को कुशल बनाने के साथ-साथ, जिस भी क्षेत्र में वह रुचि रखता हैं, उसी क्षेत्र में उन्हें प्रशिक्षित करना है। इस तरह, सीखने वाले अपने उद्देश्य, और अपनी क्षमताओं का पता लगाने में सक्षम होते हैं। नई शिक्षा नीति में शिक्षक की शिक्षा और प्रशिक्षण प्रक्रियाओं के सुधार पर भी जोर दिया गया है।
वर्तमान शिक्षा प्रणाली वर्ष 1986 की मौजूदा शिक्षा नीति में किए गए परिवर्तनों का परिणाम है। इसे शिक्षार्थी और देश के विकास को बढ़ावा देने के लिए लागू किया गया है। नई शिक्षा नीति बच्चों के समग्र विकास पर केंद्रित है। इस नीति के तहत वर्ष 2030 तक अपने उद्देश्य को प्राप्त करने का लक्ष्य है।
दस दिनों तक चलने वाले इस नवचयनित आचार्य प्रशिक्षण वर्ग में प्रतिदिन विभिन्न सत्रांे जैसे – वैचारिक सत्र, शैक्षिक सत्र, क्रियात्मक सत्र, चर्चात्मक सत्रों में आचार्य आचार्यों को विभिन्न विद्वतजनों के द्वारा प्रशिक्षण प्रदान किया जायेगा।

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