प्रयागराज। आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में नवयुग कन्या महाविद्यालय के संस्कृत विभाग के तत्वाधान में वाल्मीकि जयंती के उपलक्षय में राष्ट्रीय विद्वत संगोष्ठी का आयोजन महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो मंजुला उपाध्याय की अध्यक्षता में एवं डॉ वंदना द्विवेदी के संयोजकत्व में “वाल्मीकि रामायण का समाज के प्रति अवदान विषय “पर हुआ । कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों ने मां सरस्वती व महर्षि वाल्मीकि की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन के साथ किया। मुख्य अतिथि प्रोफेसर वृषभ प्रसाद जैन राष्ट्रीय संयोजक भारतीय भाषा मंच नई दिल्ली तथा मुख्य वक्ता के प्रोफेसर विनोद कुमार मिश्र हिंदी विभागाध्यक्ष त्रिपुरा केंद्रीय विवि त्रिपुरा एवं विशिष्ट अतिथि प्रांत संघटक मंत्री संस्कृत भारती अवध प्रांत के डॉ गौरव नायक थे। कार्यक्रम के प्रारंभ में दीप प्रज्वलन मंत्र एवं सरस्वती वंदना स्नातक द्वितीय वर्ष की छात्रा प्रतिभा दिवेदी द्वारा किया गया । अतिथियों का स्वागत महाविद्यालय के प्राचार्या एवं प्रवक्ताओं को अंगवस्त्रम ,स्मृति चिन्ह एवं पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक पौधा प्रदान कर किया। अतिथियों का व्यक्तित्व परिचय डॉ विनीता सिंह विभागाध्यक्ष समाज शास्त्र द्वारा प्रस्तुत किया गया।मुख्य वक्ता प्रो. विनोद मिश्र ने कहा कि भारतीय समाज को ठीक ढंग से समझने की दृष्टि यदि कहीं से मिलती है तो वह है रामायण । हमें बाल्मीकि की रचना धर्मिता से मूल्यों को ग्रहण करना होगा उसको आत्मसात करना होगा और तभी सामाजिक मूल्यों के गिरावट को हम रोक सकते हैं संस्कृत के आदि कवि विरचित रामायण के मूल्यों को आत्मसात कर मर्यादा पुरुषोत्तम राम के चरित्र से शिक्षा लेते हुए हम समाज को नई दिशा प्रदान कर सकते हैं। मुख्य वक्ता प्रोफेसर विनोद कुमार मिश्र पूर्व महासचिव हिंदी सचिवालय मॉरीशस ने कहा कि रामायण में चित्रित राम,लक्ष्मण और सीता ज्ञान वैराग्य और भक्ति के अद्भुत समन्वय हैं। आदि कवि के इस काव्य मंदिर की पीठस्थली राम तथा जानकी का पावन चरित्र राम शुभ गुणों से दीप्तिमान है। महर्षि वाल्मीकि ने ही हमें रामराज्य की सच्ची कल्पना देकर संसार के सामने एक महनीय आदर्श प्रस्तुत किया है राम कृतज्ञता की मूर्ति है बाल्मीकि की दृष्टि में मानव जीवन में सबसे श्रेष्ठ पदार्थ चरित्र है। विशिष्ट वक्ता डॉ गौरव नायक ने कहा कि रामचरित्र ही आर्य चरित्र का आदर्श हैं और वह मानवता की चरम अभिव्यक्ति हैं। चरित्र ही मानव को देवता बनाता है इस चरित्र का पूर्ण विकास मर्यादा पुरुषोत्तम राम चंद्र में दृष्टिगोचर होता है इसलिए हमें राम की तरह आचरण करना चाहिए रावण की तरह नहीं। प्रो प्राचार्य मंजुला उपाध्याय जी ने कहा कि महर्षि बाल्मीकि भारतीय साहित्य के हृदय के ही प्रकाशक आदिकवि नहीं है बल्कि वे भारतीय संस्कृति के संस्कारक मनीषी भी है। मृदुभाषी होना, सत्य प्रिय होना आवश्यक तो है ही परन्तु राम में वाल्मीकि ने एक विलक्षण गुण की सत्ता बतलाई है, वह है उपकार की स्मृति तथा अपकार की विस्मृति।इस अवसर पर संस्कृत विभाग द्वारा आयोजित प्रतियोगिताओं का प्रमाण पत्र एवं मेडल भी दिया गया। पर्यावरण दिवस पर आयोजित पोस्टर प्रतियोगिता में प्रथम स्थान आराधना यादव को द्वितीय स्थान प्रेमलता तथा तृतीय स्थान अर्चना और गोमती को प्राप्त हुआ । योग दिवस पर आयोजित निबंध प्रतियोगिता में प्रथम स्थान आराधना यादव को, द्वितीय स्थान अर्चना त्रिपाठी एवं प्रतिष्ठा नाग को तथा तृतीय स्थान रुपाली शर्मा एवं पूजा शर्मा को प्राप्त हुआ महर्षि वाल्मीकि जयंती पर आयोजित पोस्टर प्रतियोगिता मेंप्रथम स्थान सृष्टि यादव को द्वितीय स्थान प्रेमलता , तृतीय स्थान सुहानी झा को प्राप्त हुआ। संचालन डॉ वन्दना द्विवेदी ने और धन्यवाद ज्ञापन संस्कृत विभागाध्यक्ष प्रोफेसर रीता तिवारी ने किया |इस अवसर पर डॉ गीताजी रस्तोगी, डॉ सृष्टि श्रीवास्तव, डॉ ज्योतिका , डॉ मंजुला यादव, डॉ अमितारानी, प्रोफेसर सुषमा त्रिवेदी,डॉ सोनल अग्रवाल, डॉ नीतू सिंह ,डॉ आभा दूबे, डॉ नेहा यादव सहित अन्य लोग थे।
Related posts
-
एक राष्ट्र एक चुनाव पर काशी क्षेत्र सोशल मीडिया मीट का हुआ आयोजन
प्रयागराज।जिला पंचायत सभागार में एक राष्ट्र एक चुनाव के विषय पर भाजपा काशी क्षेत्र की ओर... -
रेलवे सुरक्षा बल/कानपुर अनवरगंज ने महिला यात्री का छूटा हुआ पर्स वापस सुपुर्द किया यात्री ने रेलवे हेल्प लाइन की मदद से ट्रेन में छूटे 88923/- रुपये से भरे पर्स को वापस पाया
रेलवे सुरक्षा बल यात्रियों और उनके समान की सुरक्षा के लिए स्टेशन परिसर एवं गाड़ियों में... -
केन्द्रीय रेल विद्युतीकरण में हिंदी कार्यशाला का आयोजन
केन्द्रीय रेल विद्युतीकरण संगठनए प्रयागराज में दिनांक 24ण्04ण्2025 को तिमाही एवं मासिक पीसीडीओ रिपोर्ट की शंकाएं...