रामायण की आरती करने से प्राप्त होती है श्रीराम की कृपा

हिंदू धर्म में रामायण को पवित्र ग्रंथ माना जाता है। रामायण में भगवान श्रीराम की लीला कथाओं का संकलन है। श्रीराम को सृष्टि के पालनहार श्रीहरि विष्णु का अवतार माना जाता है। वहीं रामायण की आरती श्रीराम की आरती है।

मान्यता के अनुसार, रामायण की आरती से व्यक्ति को महापुण्य की प्राप्ति होती है। साथ ही मनुष्य सभी पापों से मुक्ति पा जाता है और उसे भगवान श्रीराम की कृपा प्राप्त होती है। ऐसे में रामनवमी के मौके पर और अन्य दिनों में अपने कल्याण व श्रीराम की कृपा प्राप्ति के लिए रामायण की आरती करनी चाहिए।

रामायण की आरती

आरती श्री रामायणजी की। कीरति कलित ललित सिय पी की।।

गावत ब्रहमादिक मुनि नारद। बाल्मीकि बिग्यान बिसारद।।

शुक सनकादिक शेष अरु शारद। बरनि पवनसुत कीरति नीकी।।

आरती श्री रामायणजी की।।

गावत बेद पुरान अष्टदस। छओं शास्त्र सब ग्रंथन को रस।।

मुनि जन धन संतान को सरबस। सार अंश सम्मत सब ही की।।

आरती श्री रामायणजी की।।

गावत संतत शंभु भवानी। अरु घटसंभव मुनि बिग्यानी।।

ब्यास आदि कबिबर्ज बखानी। कागभुशुंडि गरुड़ के ही की।।

आरती श्री रामायण जी की।।

कलिमल हरनि बिषय रस फीकी। सुभग सिंगार मुक्ति जुबती की।।

दलनि रोग भव मूरि अमी की। तात मातु सब बिधि तुलसी की।।

आरती श्री रामायणजी की। कीरति कलित ललित सिय पीय की।।

भगवान राम स्तुति

नीलाम्बुज श्यामलकोमलांग सीता समारो पितवाम भागम्। पाणौ महासायक चारुचापं नमामि रामं रघवशं नाथम्।।

श्री जानकी वंदना

उद्भवस्थितिसंहारकारिणीं क्लेशहारिणीम्। सर्वश्रेयस्करीं सीतां नथोऽहं रामवल्लभाम्।।

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