योगीश्वर कृष्ण को समर्पित ‘कृष्णायन’ में लीलाधारी के मनोहारी चरित की मुग्धकारी प्रस्तुति

महाकुंभ नगर । अपने बालचरित, मधुरतम लीलाओं और भगवदगीता के माध्यम से सम्पूर्ण जगत को ज्ञान-कर्म और भक्ति के यथार्थ रूप का संदेश  देने वाले लीलाधारी कृष्ण के चरित पर आधारित नाट्य प्रस्तुति ‘कृष्णायन’ के मंचन ने मध्यप्रदेश मण्डप की सांस्कृतिक संध्या को केवल सुरमयि ही नही बनाया अपितु उपस्थित श्रद्धालुओं को कृष्ण भक्ति की रसमयि धारा में डुबकी लगाने को विवश भी कर दिया। भारी संख्या में उपस्थित श्रद्धालुओं की करतल ध्वनि कृष्णलीला के प्रति लोकआस्था की गहराई की संकेतक थी।
मध्यप्रेदश  संस्कृति विभाग द्वारा लोकपर्व की सांस्कृतिक संध्या का प्रमुख आकर्षण उज्जैन की नाट्य संस्था विशाला द्वारा ‘कृष्णायन’ की प्रस्तुति की। नाटक की परिकल्पना मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डाॅ मोहन यादव जी की निर्देशन संजीव मालवीय, मंच प्रबंधन राजेश कुशवाहा एवं आलेख सतीश दवे का था।
सधे व कसे हुए दृष्यबंधों, अभिनय की मनोहारी भावाभिव्यक्ति एवं दृष्यों के अनुरूप वस्त्रविन्यास से सज्जित ‘कृष्णायन’ का शुभारम्भ महर्षि वेदव्यास  एवं उनके चार षिष्यों के प्रष्नोत्तर से होता है। महर्षि व्यास उन्हें कृष्ण जन्म के कारणों और उनके कृत कायों का क्रम से उत्तर देते है। कंस के अत्याचार से पीडित पृथ्वी का ब्रह्मा और देवताओं को लेकर भगवान विष्णु के पास जाना, विष्णु लक्ष्मी का आपस में वार्तालाप, विष्णु द्वारा कृष्ण के रूप में अवतरित होने की बात करना, कंस का दरबार कंस द्वारा देवकी का वसुदेव से विवाह उसी समय देवकी के गर्भ से उत्पन्न पुत्र द्वारा कंस के वध की भविष्य वाणी का होना, कंस द्वारा उन्हे जेल मे डालना, उत्पन्न होने वाले सन्तानों का वध करना तथा कृष्ण जन्म होते ही वसुदेव द्वारा उन्हे नन्द यषोदा के पास पहुचाना, कृष्ण की बाल लीला, कृष्ण राधा मिलन, गोपियों संग रास, वेदव्यास द्वारा रास रहस्य वर्णन, कंस द्वारा अक्रूर को गोकुल से कृष्ण बलदाऊ को मथुरा बुलाना, कंस वध, उज्जयिनी में महर्षि संादीपनि आश्रम में कृष्ण की षिक्षा रूक्मणि और मित्रवृंदा हरण, कृष्ण-परशुराम मिलन, कृष्ण सुदामा प्रंसग, शिशुपाल वध, कृष्ण शांति दूत, युद्ध में अर्जुन को गीता का उपदेष आदि प्रसंगों, तथा वर्तमान समय में कृष्ण के उपदेशो  की उपयोगिता को अत्यन्त मनोहारी दृष्यों के माध्यम से मंचित किया गया।
प्रारम्भ में मध्यप्रदेश मण्डप पधारने पर  मुख्य मंत्री का जनजातीय कलाकरों ने पारम्परिक नृत्यों से तथा मध्यप्रदेश संस्कृति विभाग के निदेशक, एन.पी. नामदेव ने पुष्प गुच्छ प्रदान कर स्वागत किया।

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